गांव की सरकार!नेतृत्व का नया सूरज — निर्भीक लोकतंत्र की दिशा मुड़े शांतिपूर्ण विकास की ओर?सुरक्षा और प्रशासन: मजबूत इंतजाम, निष्पक्ष प्रक्रिया की गारंटी

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उत्तराखंड में 24 और 28 जुलाई को प्रथम व द्वितीय चरण में सम्पन्न पंचायत चुनावों के परिणाम 31 जुलाई को घोषित हो गए। इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की मजबूत पकड़ देखने को मिली है — वे अधिकांश जिलों में विजयी बने, उसके बाद बीजेपी दूसरे स्थान पर रही । अब जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों की आज — 14 अगस्त 2025 — मतदान प्रक्रिया हो रही है।

नैनीताल में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में तड़तड़ाई गोलियां!!भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा फायरिंग करने का आरोप

सुरक्षा और प्रशासन: मजबूत इंतजाम, निष्पक्ष प्रक्रिया की गारंटी? नैनीताल में घोषणा के ठीक पहले प्रशासन ने धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। जिला पंचायत कार्यालय और 500 मीटर तक कोई सार्वजनिक सभा, जुलूस, नारेबाजी, भड़काऊ गतिविधि या हथियार ले जाना सख्त वर्जित रहेगा ।
हल्द्वानी (नैनीताल क्षेत्र) में चुनाव से एक दिन पहले भाजपा एजेंट पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि कुछ अराजक तत्वों द्वारा चुनाव सदस्य–कर्मचारियों को जबरन उठाने की कोशिश की गई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व विधायक संजीव आर्य और अन्य ने पुलिस की निष्क्रियता पर आपत्ति जताई । प्रशासन की सतर्कता इन हालात में सुरक्षा की दृष्टि से सराहनीय है।

कहाँ टकराव, कहाँ रणनीतिक समझ — जिलावार नजरिया?टिहरी में एक बेहद चतुर राजनीतिक मोड़ आया: कांग्रेस की दो बार अध्यक्ष रह चुकी सोना सजवाण ने नाम वापस लिया, जिससे निर्दलीय इशिता सजवाण निर्विरोध अध्यक्ष बन गईं ।
निर्विरोध चुनाव की प्रक्रिया से कुछ जिलों जैसे ऊधम सिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी में पहले ही अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं ।
चुनाव होने वाले सात जिलों (अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर, चमोली, देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग) में अब भाजपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा, जिससे चुनाव और लोकतंत्र दोनों को मजबूती मिलेगी ।

मतगणना और परिणाम की घड़ी? प्रारंभिक पंचायती चुनावों के दौरान मतगणना 31 जुलाई को हुई थी । आज, यानी 14 अगस्त, जिन जिलों में चुनाव हो रहे हैं, वहां भी इसी दिन परिणाम की घोषणा की संभावना है — क्योंकि मतदान और मतगणना दोनों आज ही संपन्न होंगे।

उधम सिंह नगर: लोकतांत्रिक सौहार्द के बीच निर्विरोध चुनाव से सकारात्मक संदेश?उधम सिंह नगर जिले में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुनाव होना, स्थानीय राजनीति में एक सुखद और सकारात्मक संदेश लेकर आया है। लंबे समय से यहां के चुनावी माहौल में जो तीखी बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलते थे, इस बार वह तस्वीर काफी बदली-बदली नज़र आई। हल्की-फुल्की नोकझोंक और राजनीतिक हंसी-मज़ाक के बीच नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई और अंततः अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध परिणाम सामने आया।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि जब विकास को प्राथमिकता और व्यक्तिगत अहम को पीछे रखा जाता है, तो सहमति और सहयोग की संस्कृति मजबूत होती है। निर्विरोध चुनाव न सिर्फ प्रशासनिक खर्च और समय की बचत करता है, बल्कि समाज में सौहार्द और भाईचारे को भी प्रोत्साहित करता है।

ब्लॉक प्रमुख और अन्य पदों पर मुकाबला जरूर दिलचस्प रहा, लेकिन वहां भी विवाद की जगह लोकतांत्रिक मर्यादा का पालन देखने को मिला। प्रत्याशी एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करने की बजाय अपने-अपने विकास एजेंडे और योजनाओं की चर्चा करते दिखे। यह बदलाव जिले के मतदाताओं के परिपक्व होते राजनीतिक दृष्टिकोण का परिचायक है।

मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था सख़्त और शांतिपूर्ण रही। प्रशासन ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया, जिससे प्रत्याशियों और समर्थकों का भरोसा बढ़ा।

उधम सिंह नगर के इस चुनावी अनुभव ने यह साबित कर दिया कि राजनीति सिर्फ टकराव का नाम नहीं है; यह सहमति, संवाद और सामूहिक प्रगति का माध्यम भी बन सकती है। निर्विरोध अध्यक्षीय चुनाव ने आने वाले समय में जिले की राजनीति के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा तय कर दी है।


सकारात्मक अंतर्दृष्टि — लोकतंत्र की चमक, जनशक्ति का जागरण

  • निर्दलीय उम्मीदवारों का आत्मविश्वास, और उनका चुनाव जीतना एक संकेत है कि जनता अब स्थानीय सशक्त और कट्टर राजनीतिक परिवारों की जगह सक्षम और संज्ञानी प्रतिनिधियों को तरजीह दे रही है ।
  • टिहरी में इशिता सजवाण का जीतना, एक स्वतंत्र प्रतिनिधि के रूप में, स्थानीय राजनीतिक समीकरण में नए विश्वास और विकल्प लाता है।
  • सख्त कानून व्यवस्था और निषेधाज्ञा का लाभ है कि मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बना रहेगा — लोकतंत्र की गरिमा बरकरार रहेगी।
  • मामलों पर नजर रखना, जैसे हल्द्वानी में तनाव या नाम वापसी की घटनाएं, यह दर्शाता है कि प्रशासन और राजनीतिक दल निष्पक्षता सुनिश्चित करना चाहते हैं।

।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)उत्तराखंड के ग्रामीण लोकतंत्र में आज का दिन आशा और परिणाम दोनों का प्रतीक है। जब लोकतंत्र सक्रियता के साथ काम करता है, तो जनता के विश्वास को मजबूत करता है। आज प्रदेशभर के 7 जिलों में न सिर्फ चुनाव हो रहे हैं, बल्कि यह चुनाव नए स्वतंत्र नेतृत्व, सुरक्षा-सतर्कता, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की स्वच्छता का सामंजस्य दिखा रहे हैं। उत्तराखंड का यह पंचायत नेतृत्व एक सकारात्मक बयान है — सामूहिक विकास, जनभागीदारी और लोकतंत्र की शक्ति की।


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