सावन महीने की पंचमी तिथि इस साल 29 जुलाई 2025 को है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से सर्प दंश यानी सांपों के काटने का भय नहीं रहता है।कैसे करनी है नाग पंचमी की पूजा, नोट कीजिए विधि और सामग्री

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साथ ही कुंडली में राहु-केतु के दोष सहित काल सर्प दोष जैसी परेशानियों से भी राहत मिलती है।नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:14 से 08:51 तक रहेगा। इस समय में नाग देवता की पूजा से राहु-केतु की वजह से आ रही जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं। साथ ही धन-धान्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं कि नाग पंचमी के पूजा कैसे करनी है और इसके लिए आपको किन चीजों की जरूरत होगी…

पूजा के लिए किन चीजों की होगी जरूरत,नाग पंचमी की पूजा के लिए नाग देवता की तस्वीर या प्रतिमा की जरूरत होगी। इसके अलावा गाय का कच्चा दूध, दही, देशी घी, शहद, गंगाजल, पंचामृत, इत्र, मौली, जनेऊ, फल-फूल, सूखे मेवे, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, तुलसी दल, मंदार फूल, पांच मिठाई, बेलपत्र, धतूरा, कपूर, धूप, हल्दी, रोली और अक्षत की जरूरत होगी।

ऐसे करें नाग पंचमी की पूजा

नाग पंचमी के दिन स्नान आदि करने के बाद साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद देवी-देवताओं का ध्यान करें। घर के मंदिर में एक साफ चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर नाग देवता का चित्र या फिर मिट्टी से बने हुए सर्प की मूर्ति स्थापित करें।

प्रतिमा के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद नाग देवता को उपरोक्त सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद नाग पंचमी व्रत कथा पढ़ें या सुनें और मंत्रों का जाप करें। इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें। इस तरह नाग पंचमी की पूजा पूरी होगी।

नाग को दूध से स्नान कराएं, पिलाएं नहीं

नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा है। मगर, आपको जानकर हैरानी होगी कि सांप दूध नहीं पीते हैं। दरअसल, जब राजा जन्मेजय ने सर्प यज्ञ किया था। वह तक्षक नाग के डंसने की वजह से उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला पूरे नाग वंश से लेना चाहते थे।

इस यज्ञ के जरिये वह सभी सांपों को हवन कुंड में जलाकर भस्म कर देना चाहते थे। मगर, तब आस्तिक मुनि ने राजा जन्मेजय को इस यज्ञ को पूरा कराने से रोक दिया था। तब सांपों ने वचन दिया था कि नाग पंचमी के दिन जो भी व्यक्ति सांपों की पूजा करेगा, उसे सर्प दंश का भय नहीं होगा।

कहते हैं कि यज्ञ कुंड में गिरे नागों की जलन शांत करने के लिए आस्तिक मुनि ने दूध से उन्हें स्नान कराया था। तभी से नागों को दूध से स्नान कराने की परंपरा शुरू हुई। जो बाद में अंध विश्वास के चलते दूध पिलाने तक पहुंच गई, जबकि सांप कभी दूध नहीं पीते हैं।

नांगपंचमी के 5 अचूक उपाय:1. काल सर्पदोष मुक्ति के लिए: चांदी के नाग नागिन के जोड़े यदि आप नहीं ला सकते हैं तो बड़ीसी रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प रूप में बना लें। फिर उसे एक आसन पर स्थापित करके उसपर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। फिर गुग्गल की धूप दें। इस दौरान राहु और केतु के मंत्र पढ़ें। राहु के मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम’ और केतु के मंत्र ‘ऊं कें केतवे नम:’ का जाप बराबर संख्या में करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं। फिर जब भी समय मिले रस्सी को बहते हुए जल में बहा दें दें। इससे काल सर्पदोष दूर हो जाएगा।

2. धन सबंधी परेशानी दूर करने के लिए: नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे जहां आर्थ‍िक लाभ होगा, वहीं घर पर आने वाली काल सर्प दोष से उत्पन्न विपत्त‍ियां भी टल जाएंगी। इसके अलावा नागपंचमी वाले दिन चांदी का बना नाग-नागिन का जोड़ा किसी विप्र को या किसी मंदिर में दान करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इसके लिए जरूरी नहीं है कि बड़ा चांदी का नाग नागिन का ही जोड़ा हो आप पतले तार वाला भी बनवा सकते हैं। इससे आ‍पकी आर्थिक तंगी दूर होकर आपको धन लाभ होने की संभावना बढ़ जाएगी।

3. आस्तिक मुनि का मंत्र: ‘आस्तिक मुनि की दुहाई’ नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता और काल सर्प दोष भी नहीं लगता है।

4. सर्पसूक्त पाठ: जिस जातक की कुंडली में कालसर्प योग, पितृ दोष होता है उसका जीवन अत्यंत कष्टदायी होता है। उसका जीवन पीड़ा से भर जाता है। उसे अनेक प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस योग से जातक मन ही मन घुटता रहता है। ऐसे जातक को नागपंचमी के दिन श्रीसर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए।

5. व्रत रखें: चतुर्थी की रात से ही व्रत प्रारंभ करके पंचमी की रात को व्रत समाप्त करें। इस दौरान अष्‍टनाग, मनसादेवी, आस्तिक मुनि, माता कद्रू, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी करें।


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