
वन निगम से प्रत्येक कुक के लिए हर माह 17 हजार रुपये मानदेय भी लिया जा रहा है।

शासन को यह भी शिकायत मिली है कि कई अफसरों ने अपने रिश्तेदारों के नाम डालकर भी कुक के नाम पर मानदेय निकाला है। इस जानकारी के बाद शासन ने नाराजगी जताते हुए एमडी को सभी कुक हटाने के निर्देश दिए हैं और मामले की जांच की जा रही है।
सेवा नियमावली का उल्लंघन?
यूपी के समय वन विकास निगम में प्रभागीय बिक्री प्रबंधक (डीएलएम), क्षेत्रीय प्रबंधक (आरएम), महाप्रबंधक (जीएम) और प्रबंध निदेशक (एमडी) को कुक रखने का अधिकार था। लेकिन, हाल में मंजूर उत्तराखंड वन विकास निगम की सेवा नियमावली में केवल एमडी और दो जीएम को ही कुक रखने का अधिकार दिया गया। इसके बावजूद प्रशासनिक अफसर से लेकर डीएलएम और आरएम तक सबने अपने-अपने लिए आउटसोर्स पर कुक रखे। हैरानी की बात है कि इसके लिए शासन से कोई अनुमति नहीं ली गई।
अफसरों के रिश्तेदारों को भी दिखाया कुक
कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया है कि कई अफसरों ने तो आउटसोर्स एजेंसी में अपने रिश्तेदारों का नाम डालकर उन्हें अपने यहां बतौर कुक तैनात दिखाया है। इसके बदले वन निगम से हर महीने मानदेय लिया जा रहा है। इससे वन निगम को हर माह लाखों रुपये की चपत लग रही है। वन निगम कर्मचारियों में इसे लेकर नाराजगी है। उन्होंने इस मामले की जांच करने के साथ दोषियों से रिकवरी तक की मांग की है।
प्रमुख सचिव-वन आरके सुधांशु ने कहा कि वन निगम में कुक, खलासी सहित कई पदों पर आउटसोर्स से जरूरत से ज्यादा कर्मचारी रखे गए हैं। नियम विरुद्ध रखे कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें कुछ अफसरों के रिश्तेदार रखने की शिकायत है। एमडी से रिपोर्ट मांगी है।


