26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने की खबर से पीड़ितों और उनके परिवारजनों ने राहत की सांस ली है और उसे फांसी की सजा देने की मांग की है।26/11 मुंबई आतंकी हमलों के पीड़ितों के लिए इंसाफ का इंतजार आखिरकार खत्म होता नजर आ रहा है. अमेरिका ने हमले की साजिश में शामिल मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंप दिया है.

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हमले के गवाह रहे नटवरलाल रोटावन ने कहा, “भारत तभी सराहा जाएगा जब तहव्वुर राणा को फांसी दी जाएगी। मैंने कोर्ट में कसाब की पहचान की थी। मोदी जी शेर हैं, पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादियों को मारा। राणा के बाद डेविड हेडली और हाफिज सईद को भी लाया जाएगा। हम हिंदुस्तानी हैं, हम डरते नहीं हैं…”

उनकी बेटी देविका रोटावन, जो खुद हमले में घायल हुई थीं, ने कहा, “तहव्वुर राणा को भारत लाना भारत सरकार की बड़ी जीत है। अब बारी है हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम जैसे मास्टरमाइंड्स को भारत लाकर फांसी देने की।”

उत्तर प्रदेश के वाराणसी निवासी सुनीता, जिनके पति की 26/11 हमलों में मौत हो गई थी, ने भावुक होते हुए बताया, “हम रेलवे स्टेशन पर थे, जब फायरिंग शुरू हुई। शुरुआत में हमें लगा पटाखे फूट रहे हैं। भागने की कोशिश की तो मेरे पति के सिर में गोली लगी और वो वहीं गिर पड़े। मैं बच्चों को लेकर भागी। मैं खुद भी हमले में घायल हुई थी।”

सरकार ने साफ किया है कि जैसे ही राणा भारत पहुंचेगा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसकी हिरासत लेगी। राणा को अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठन को समर्थन देने के जुर्म में सजा हो चुकी है। भारत सरकार कई वर्षों से उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही थी, और अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये राह साफ हो गई है।

न्याय की दिशा में अहम कदम माने जा रहे इस घटनाक्रम के बीच केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है, जो NIA केस (RC-04/2009/NIA/DLI) में तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के खिलाफ मुकदमा चलाएंगे।

इस कदम को भारत और अमेरिका के साझा आतंकवाद विरोधी प्रयासों की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, हमने तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित कर दिया है ताकि वह 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में अपनी भूमिका के लिए मुकदमा झेले. हम लंबे समय से भारत के साथ मिलकर 166 लोगों को न्याय दिलाने के प्रयास में लगे थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे. खुशी है कि वह दिन आ गया है.

विदेश मंत्रालय का बयान

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने गुरुवार को कहा कि 2008 के आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था और अमेरिका ने हमेशा भारत के प्रयासों का समर्थन किया है ताकि हमलों के दोषियों को सजा मिल सके. उन्होंने बताया कि राणा को 9 अप्रैल को भारत को सौंपा गया ताकि वह 2008 के हमलों की साजिश में अपनी भूमिका के लिए न्याय का सामना कर सके.

इंसाफ के लिए अहम कदम- अमेरिका

अमेरिकी न्याय विभाग के प्रवक्ता ने पीटीआई को दिए बयान में कहा कि राणा का प्रत्यर्पण “न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” है. उन्होंने कहा कि राणा को 26/11 हमलों से जुड़े 10 आपराधिक आरोपों के तहत भारत में मुकदमे का सामना करना है. साथ ही यह कदम उन छह अमेरिकियों और अन्य 160 पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिनकी जान उन बर्बर हमलों में गई थी.

18 दिन की रिमांड पर भेजा गया तहव्वुर

गुरुवार को राणा को भारत लाए जाने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया. इसके बाद उन्हें विशेष NIA कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 18 दिन की कस्टडी में भेजा गया. अब राणा से NIA मुख्यालय में गहन पूछताछ की जाएगी ताकि 26/11 हमलों की साजिश की पूरी परतें खोली जा सकें. उन्हें बेहद कड़ी सुरक्षा में सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए मुख्यालय में रखा गया है.

आज से एनआईए के अधिकारी पूछताछ शुरू करेंगे, ताकि मुंबई हमलों की पूरी साजिश का पता लगाया जा सके।

तहव्वुर राणा को लेकर विशेष विमान शाम 6.20 बजे पालम एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर सबसे पहले राणा को गिरफ्तार किया गया। एयरपोर्ट पर ही शाम 7.50 बजे मेडिकल टेस्ट हुआ।

यहां राणा को लेकर रात 10 बजकर 8 मिनट पर एनआईए की टीम निकली और रात 10.32 बजे उसे पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत में पेश किया गया। कोर्ट में 3.36 मिनट तक सुनवाई चली। एनआईए ने 20 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन रात 2 बजकर 8 मिनट पर सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने 18 दिन की रिमांड पर सौंपा। इसके साथ ही भारत की धरती पर राणा की पहली तस्वीर भी सामने आई।

(यह तस्वीर अमेरिका से जारी हुई है, जब तहव्वुर राणा को भारत के हवाले किया जा रहा था।)

पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा से पल्ला झाड़ा

इस बीच, पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा से पल्ला झाड़ लिया है। पूरी दुनिया जानती है कि राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, लेकिन अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि राणा ने 20 साल से अपने कागजात अपडेट नहीं किए हैं। इसलिए अब वह पाकिस्तान का नागरिक नहीं है।

यह बात और है कि राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ, उसने वहीं पढ़ाई की, सेना में शामिल हुआ, 10 साल तक सेवा दी और कैप्टन तक बना।

Tahawwur Rana Extradition Updates: तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण जुड़ा हर अपडेट

  • अधिकारियों ने बताया कि हिरासत के दौरान राणा को सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए के मुख्यालय के अंदर एक उच्च सुरक्षा वाली कोठरी में रखा जाएगा।

(पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।)

  • केंद्र सरकार ने 26/11 मुंबई हमलों से संबंधित मुकदमे और अन्य मामलों के लिए अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष सरकारी अभियोजक नियुक्त किया है। तहव्वुर राणा के खिलाफ कोर्ट में नरेंद्र मान सरकार का पक्ष रखेंगे।

अमित शाह बोले- यह सरकार की बड़ी सफलता

इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 26/11 आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कूटनीति की बड़ी सफलता है। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बिना कटाक्ष किया और कहा कि जिन सरकारों के शासन में बम विस्फोट हुए, वे उसे वापस नहीं ला सकीं।

शुक्रवार को पहली बार आतंकी तहव्वुर राणा का NIA से आमना-सामना हुआ और सवालों की झड़ी लग गई.

सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने तहव्वुर से सवाल दागा कि जब वो भारत में आया और यहां रहा, तब उसने किन-किन से मुलाकातें कीं और ये मुलाकातें कहां-कहां हुईं. हालांकि, तहव्वुर राणा ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया और NIA के सवालों को यह कहकर टालता रहा कि उसे कुछ याद नहीं है.

तहव्वुर राणा को दिल्ली में एनआईए के हेड क्वार्टर में रखा गया है. NIA कोर्ट ने उसे 18 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. जांच एजेंसी की जिस सेल में राणा बंद है, वहां सिर्फ 12 लोगों को ही जाने का एक्सेस दिया गया है. शुक्रवार को राणा से सिर्फ 3 घंटे ही पूछताछ हो पाई. सूत्रों का कहना है कि तहव्वुर राणा किसी सवाल के संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है. वो ज्यादातर सवालों के जवाब ‘याद नहीं और पता नही’ बोल रहा है. जांच अधिकारियों ने तहव्वुर राणा से उसके परिवार और दोस्तों के बारे में भी पूछा, लेकिन वो जवाब नहीं दे रहा है.

सवालों की लंबी लिस्ट…

सूत्रों का कहना है कि एनआईए राणा से मुंबई हमले से जुड़े तमाम पहलुओं पर पूछताछ करने जा रही है. सवालों की लिस्ट लंबी है. अब पूछताछ की अगली कड़ी में स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जाएगी, जो तहव्वुर हुसैन राणा और उसके ऑन ग्राउंड ऑपरेटिव डेविड कोलोमेन हेडली के भारत दौरे के दौरान उसके संपर्क में थे.

हमले से पहले भारत आया है तहव्वुर राणा?

हालांकि राणा, हेडली के साथ ज्यादातर जगहों पर नहीं गया था, लेकिन उसने मुंबई में इमिग्रेशन लॉ सेंटर की स्थापना और अन्य कवर व्यवस्थाओं में मदद करके हेडली की यात्रा को सुविधाजनक बनाया था. वो 8 नवंबर 2008 और 21 नवंबर 2008 के बीच कम से कम एक बार भारत आया और हेडली के साथ गया. इतना ही नहीं, हेडली को विश्वसनीयता देने के लिए खुद को एक वैध व्यवसायी के रूप में पेश किया.

राणा के इनपुट के आधार पर संभावित कार्रवाई के लिए एनआईए की टीमें विभिन्न एटीएस टीमों के संपर्क में हैं. राणा से पूछा गया कि भारत में रहने के दौरान वो किससे और कहां मिला था?

हेडली ने विशेष रूप से व्यापक निगरानी अभियान चलाए और राणा पर आरोप है कि उसने व्यापारिक गतिविधियों की आड़ में उसकी कुछ गतिविधियों में मदद की. मुख्य ध्यान स्लीपर मॉड्यूल का पता लगाने पर होगा जिसने महाराष्ट्र के मुंबई में हेडली की मदद की.

हेडली जब भारत आया तो उसने ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी), नरीमन हाउस (यहूदी चबाड सेंटर) और लियोपोल्ड कैफे आदि का सर्वे किया था. हेडली यहां लोकेशन देखकर गया था. राणा ने ही हेडली को भारत भेजने की व्यवस्था की थी.

एनआईए उन लोगों के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश करेगी, जिन्होंने हेडली की मदद की. राणा के साथ कोऑर्डिनेशन में उसने कई जगहों पर रेकी की थी, जिसके बाद उसने वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी की. उसने 2006 और 2008 के बीच कई बार इन स्थानों का दौरा किया.

दिल्ली से स्लीपर मॉड्यूल

हेडली ने व्यवसायी बनकर दिल्ली का दौरा किया था. उस पर दिल्ली में भविष्य के हमलों की योजना बनाने का भी संदेह था और उसने संभावित टारगेट की मॉनिटरिंग भी की थी. पर्यटन स्थलों का पता लगाने के लिए संभवतः गोवा की भी यात्रा की थी. गोवा से निगरानी विवरण पाकिस्तान में उसके संचालकों के साथ साझा किए गए थे. इस बात के सबूत हैं कि हेडली ने पुणे के ओशो आश्रम और संभवतः पुणे के चबाड हाउस समेत पुणे के इलाकों का सर्वे किया था.

हेडली ने कथित तौर पर पर्यटन या व्यवसाय की आड़ में पुष्कर (राजस्थान) और अन्य शहरों का दौरा किया. सामान्य खुफिया जानकारी एकत्र की और विदेशी पर्यटकों द्वारा अक्सर देखी जाने वाली जगहों की पहचान की.


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