ठुकराल की जनपथ पर वापसी — सुषमा के समर्थन में जनसैलाब ने बदली चुनावी फिज़ा!त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025, खानपुर पूर्व सीट विशेष विश्लेषण

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आखिरी चरण में रुद्रपुर की खानपुर पूर्व जिला पंचायत सीट पर जो सियासी तस्वीर उभरकर सामने आई है, उसने पूरे ऊधमसिंहनगर जिले की चुनावी राजनीति में हलचल मचा दी है। पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के नेतृत्व में निर्दलीय प्रत्याशी सुषमा हाल्दार के समर्थन में उमड़ा जनसैलाब न सिर्फ राजनीतिक समीकरणों को पुनर्परिभाषित करता दिखा, बल्कि यह संकेत भी देता है कि जनता अब “दल” नहीं, “दृष्टिकोण” को तवज्जो दे रही है।

जनसंपर्क और रोड शो बना जनसैलाब का कारण?ठुकराल ने अपने पुराने सियासी तेवरों के साथ खानपुर नंबर एक, रतनपुरा, मुड़िया, खानपुर नंबर दो समेत अनेक गांवों में जो शक्ति प्रदर्शन किया, वह न सिर्फ एक चुनावी अभियान था, बल्कि यह भी स्पष्ट संदेश था कि ठुकराल की जमीनी पकड़ अब भी बरकरार है। घर-घर जाकर जनसंपर्क, नुक्कड़ सभाएं और रोड शो ने चुनाव प्रचार को नए आयाम दिए।

इस दौरान ठुकराल का एक-एक शब्द जनता के बीच भरोसे के साथ सुना गया। उन्होंने यह बात बार-बार दोहराई कि चुनाव के समय ही दिखने वाले “मौकापरस्त” नेताओं से सावधान रहना ज़रूरी है, क्योंकि पंचायत चुनाव सिर्फ व्यक्ति नहीं, भविष्य चुनने का अवसर होता है।

भाजपा पर तीखे हमले — मोहभंग की राजनीति?राजनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि से देखा जाए तो ठुकराल का भाजपा पर सीधा हमला एक रणनीतिक संकेत है। उन्होंने न केवल पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए, बल्कि यह भी कहा कि भाजपा के प्रतिनिधि केवल चुनावी वादों तक सीमित रह गए हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में भाजपा सत्ता में है, और इसे ठुकराल का खुला विरोध भी माना जा रहा है।

उनका यह कहना कि “जनता अब राजनीतिक जुमलों के फेर में नहीं पड़ने वाली” सीधे तौर पर भाजपा नेतृत्व के खिलाफ जनाक्रोश की ओर इशारा करता है। यह बताता है कि संगठन के भीतर नाराजगी की चिंगारी केवल सुषमा के समर्थन तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वैचारिक मतभेद भी है।

निर्दलीय प्रत्याशी सुषमा हाल्दार: विकल्प नहीं, विश्वास का नाम?सुषमा हाल्दार का नाम जब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामने आया, तो राजनीतिक पंडितों ने इसे एक सीमित प्रयास माना था। लेकिन जिस तरह सुषमा ने क्षेत्र में व्यापक जनसंपर्क किया और हर वर्ग से संवाद स्थापित किया, उससे यह स्पष्ट हुआ कि वे केवल चेहरा नहीं, बल्कि जनभावनाओं की प्रतिनिधि हैं।

उनका यह वक्तव्य कि “मेरा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि जनसेवा है” — एक साधारण कथन नहीं, बल्कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में एक साहसिक घोषणा है। महिला प्रत्याशी होने के नाते उनके समर्थन में जिस तरह युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों ने एकजुटता दिखाई, वह ग्रामीण राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव की बानगी है।

ठुकराल की वापसी या भावी रणनीति?यह सवाल अब आम हो चुका है — क्या ठुकराल की यह सक्रियता सिर्फ सुषमा हाल्दार के समर्थन तक सीमित है या यह भविष्य की किसी बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है? जिस प्रकार से उन्होंने ‘दल से ऊपर व्यक्ति की छवि’ की बात कही, वह संभावित राजनीतिक रुख की ओर इशारा करता है। क्या वे आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं या यह भाजपा के भीतर परिवर्तन की आहट है? फिलहाल, इन सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन इतना तय है कि ठुकराल की सक्रियता ने भाजपा को भीतर से झकझोर दिया है।

जनता का समर्थन: विश्वास की नई इबारत?गांव-गांव में फूल मालाओं से स्वागत, ढोल-नगाड़ों की गूंज और नुक्कड़ सभाओं में उत्साह — यह सब कुछ केवल एक चुनावी आयोजन नहीं था। यह उस विश्वास की अभिव्यक्ति थी जो जनता ने ठुकराल और सुषमा की जोड़ी में देखा। चुनावी राजनीति में यह दुर्लभ है कि बिना किसी दलीय झंडे के कोई जनसैलाब एक निर्दलीय प्रत्याशी के पीछे इस तरह उमड़े।

इस जनसैलाब का एक सामाजिक संदेश भी है — कि यदि नेतृत्व जमीनी हो, संवाद में विश्वास हो और सेवा भाव स्पष्ट हो, तो जनता हर बाधा पार कर साथ देने को तैयार रहती है।

खानपुर पूर्व सीट से सुषमा हाल्दार की उम्मीदवारी और ठुकराल का समर्थन महज़ एक पंचायत चुनाव नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन सरीखा दृश्य बन गया है। इससे यह साबित होता है कि जननेता वही होता है, जो न केवल चुनावों में, बल्कि हर हाल में जनता के साथ खड़ा रहे।

सत्ता और पद से दूर रहकर भी यदि किसी नेता की अपील कायम है, तो वह लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत है। ठुकराल ने सुषमा हाल्दार के लिए नहीं, बल्कि अपने पुराने जनसंपर्क के लिए साख की लड़ाई लड़ी है — और शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह लड़ाई उन्हें जनसमर्थन के रूप में परिणाम भी देने जा रही है।

इस चुनाव में यदि सुषमा की जीत होती है, तो यह जीत ठुकराल के लिए भी पुनर्जन्म होगी — एक जननेता के रूप में, एक विकल्प के रूप में, और शायद भविष्य के नेता के रूप में भी।


🖋️लेखक: अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर

प्रकाशन: शैल ग्लोबल टाइम्स | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025, खानपुर पूर्व सीट विशेष विश्लेषण


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