रुद्रपुर/उधम सिंह नगर, विशेष व्यंग्य रिपोर्ट


rudrpur उत्तराखंड में जहां जनता अब भी पानी-बिजली के लिए लाइन में खड़ी है, वहीं रुद्रपुर में लोकतंत्र लाइन तोड़कर सीधा जादू के मंच पर पहुंच चुका है। चुनाव का मौसम है, लेकिन यह कोई साधारण चुनाव नहीं, यह ‘चाटुकार महामहोत्सव’ है — जहां लोकतंत्र के पंडाल में हर दिन नया तमाशा, हर नुक्कड़ पर नया ‘भाभी विधायक’ जन्म ले रहा है।
जादू करता की छड़ी और चाटुकारों का चमत्कार?ग्राम प्रधान से लेकर बीटीसी और जिला पंचायत सदस्य तक, हर प्रत्याशी के पोस्टर में किसी न किसी ‘भावी विधायक’ का हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में दिखता है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार रुद्रपुर में “भावी विधायक” बनना सबसे तेज़ी से उभरता राजनीतिक ब्रांड बन गया है। आप भले ही वार्ड नंबर 8 में नाली की मरम्मत न करवा पाएं, लेकिन अगर आपकी फोटो भावी विधायक के साथ वायरल है, तो समझिए आप विकास के ठेकेदार घोषित हैं।
और ये सब संभव हुआ है “जादू करता जी” की कृपा से, जिनके पास हर ‘चहेते’ को टिकट दिलवाने की जादुई कलम है और विरोधी को टिकट से निकालने का जादुई रबड़।
पार्टियों से ज़्यादा प्रभावी है ‘पार्टियों की परछाईं’
इस बार की विशेषता यह है कि प्रत्याशी किसी पार्टी से नहीं, “प्रभाव से” चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी चुनावी पर्ची में लिखा गया है:
पार्टी: भावी समर्थक मोर्चा
चिन्ह: आशीर्वाद देती हथेली (जिस पर मेंहदी भी लगी है)
पिछले सप्ताह एक महिला प्रत्याशी, जो अपने मोहल्ले में बमुश्किल जानी जाती थीं, उन्हें एक कार्यक्रम में “भावी विधायक भाभी जी” कहकर मंच पर बुला लिया गया। अगले ही दिन शहर की दीवारों पर उनके पोस्टर छा गए — “एक मौका भाभी जी को, इस बार नाली भी चमकेगी और मोहल्ला भी!”
लोकतंत्र नहीं, लोक-तमाशा?इस पूरे तमाशे में जनता बेचैन है। एक बुज़ुर्ग मतदाता ने कहा, “हम तो सोचते थे सड़क, पानी, रोजगार के मुद्दे उठेंगे। लेकिन यहां तो सब ‘भाभीजी-भाईसाहब’ के नाम पर वोट मांग रहे हैं। असली उम्मीदवार कौन है, पता ही नहीं चलता – फोटो में जादू करता जी बड़े, उम्मीदवार छोटे।”
एक युवा मतदाता ने कटाक्ष किया, “यहां तो चुनाव जीतने का फॉर्मूला सीधा है — फोटो में भाभी जी, कैप्शन में ‘संघर्षशील नेता’, और चाटुकारों की टीम जो सोशल मीडिया पर लिखे — ‘भविष्य की विधायक जी को नमन्’।”
मीडिया भी चुप, क्योंकि विज्ञापन मोटे हैं!
स्थानीय प्रेस भी इन ‘भाभियों’ के चमत्कारों से अभिभूत है। अखबारों में “नारी शक्ति की प्रतीक भाभी जी” नामक विशेषांक निकल रहे हैं, जिनमें भाभी जी के रसोई बनाते, बच्चों को गोद में खिलाते और युवाओं को रोजगार देने के वादों की काल्पनिक झलकियां दी जा रही हैं।
निष्कर्ष नहीं, निष्क्रियता
रुद्रपुर का यह लोकतांत्रिक तमाशा बता रहा है कि यहां मुद्दे नहीं, मुखौटे बिकते हैं। जनता का असली सवाल — “भावी विधायक बने या न बनें, क्या सड़क गड्ढा मुक्त होगी?” — अब भी अनुत्तरित है।
लेकिन एक बात तय है —
यह चुनाव नहीं, ‘जादू का शो’ है। और हर वोट, एक तालियां बजाता दर्शक।
चाकू के पत्रकार” और भावी विधायक’ के सपने
रुद्रपुर, उधम सिंह नगर | दिनांक: 28 जुलाई, मतदान दिवस
लेखक: अवतार सिंह बिष्ट
रुद्रपुर और आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों चुनावी हवा से ज़्यादा तेज़ बह रही है चाटुकारिता की आँधी। जिला पंचायत, ग्राम प्रधान और वार्ड मेंबर जैसे पदों के लिए हो रहे चुनाव अब “लोकतंत्र का पर्व” नहीं, बल्कि “भक्ति योग प्रतियोगिता” बन चुके हैं — और इस प्रतियोगिता के सबसे तेज धावक हैं — ‘चाकू के पत्रकार’।
जी हां, ये वो पत्रकार हैं जिनकी कलम नहीं, चाकू चलता है – चाटुकारिता काटने के लिए नहीं, बल्कि नेताजी की चरणों की पॉलिश को चमकाने के लिए। सोशल मीडिया पर जिनका काम है – एक फोटो खींचो, नीचे लिखो “जनता की मसीहा, भावी विधायक भाभी जी को सादर नमन!” और फिर तुरंत व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट कर दो: “यही हैं असली नेता।”
चाटुकारिता की नई कास्टिंग: “भावी विधायक – सास बहू वर्जन”वार्ड मेंबर चुनाव लड़ रही महिला हो या जिला पंचायत की उम्मीदवार, अगर उसने किसी बड़े ‘जादू करता’ के पैर छू लिए और एक ‘चाकू पत्रकार’ को गुलाब जामुन खिला दिया, तो वह अगले दिन से “भावी विधायक” बन चुकी है।
ऐसे में असली प्रत्याशी कौन है, कौन जमीनी है, कौन जनता के मुद्दे उठाता है — इससे ज़्यादा ज़रूरी बन गया है कि किसका फोटो किसके साथ वायरल हुआ, किस पत्रकार ने किसे ‘भविष्य की मुख्यमंत्री’ बता दिया और किसने सबसे ज्यादा ‘धोती-टोपी’ में फोटोशूट करवाया।
स्टेटस मेंटल पत्रकारिता?कुछ पत्रकार अब अपने स्टेटस को “पत्रकार” नहीं, “फील्ड में भाई साहब के साथ”, “भावी विधायक के साथ ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग” जैसी लाइनें लगाकर खुद को ‘स्टेटस मेंटल’ साबित कर रहे हैं। असल में यह कोई पत्रकारिता नहीं, नकली कैमरे के पीछे छुपा असली एजेंडा है — खुद को पीआरओ साबित करने का।
ये वही पत्रकार हैं जो प्रेस रिलीज को Ctrl+C और Ctrl+V करते हैं, बस थोड़ा फोटोशॉप में “विजेता घोषित” लिख देते हैं, भले ही वोटिंग अभी शुरू भी न हुई हो।
वोटिंग का दिन: झोले में कैमरा, जेब में उम्मीद?आज 28 जुलाई को वोटिंग हो रही है। प्रत्याशी पसीना बहा रहे हैं, पर पत्रकारों का पसीना तब निकलेगा जब पता चलेगा कि जिसकी चाटुकारिता की गई, वो बक्सा ही नहीं खुलवा पाया। लेकिन इन ‘चाकू पत्रकारों’ की चिंता मत कीजिए, ये हारने वाले को भी अगले दिन “जनता के दिलों में जीते” कहकर खबर बना देंगे।
रुद्रपुर में आज लोकतंत्र नहीं, लोक-प्रहसन हो रहा है — जहां पत्रकारिता जन सरोकार नहीं, जन-संबंध प्रबंधन बन गई है।
चुनाव परिणाम भले कुछ भी हो, भावी विधायक का सपना और चाटुकार पत्रकार का स्टेटस – अमर रहेगा।

