
नैनीताल जिले के ऐतिहासिक पर्यटन नगरी भीमताल से एक बार फिर जनता का आक्रोश उभर कर सामने आया है। आरोप है कि जिला विकास प्राधिकरण (जीडीए) और झील विकास प्राधिकरण के अधिकारी स्थानीय निवासियों पर एकतरफा और मनमाना रवैया अपना रहे हैं, जबकि बाहरी बिल्डरों को खुली छूट दी जा रही है। भीमताल के कई निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री को एक सामूहिक ज्ञापन भेजते हुए चेतावनी दी है कि अगर 25 मई 2025 तक दोहरे मापदंडों पर रोक नहीं लगी, तो देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
पुश्तैनी मकान सील, बाहरी होटल सीलमुक्त! ज्ञापन में उल्लेख है कि स्थानीय लोगों के पुश्तैनी मकानों और दुकानों को “अवैध” बताकर सील किया जा रहा है, जबकि वही प्राधिकरण बाहर से आए बिल्डरों द्वारा बनवाए जा रहे बहुमंजिला होटलों पर मौन है। आरोप है कि एक ही खेत संख्या में दो अलग-अलग व्यक्तियों के लिए दोहरे मापदंड अपनाए गए—एक को चार मंजिला होटल निर्माण की अनुमति दी गई, जबकि दूसरे को भवन गिराने का नोटिस भेजा गया।
मास्टर प्लान की समाप्ति, पर नियम अब भी लागू?गौरतलब है कि नैनीताल का मास्टर प्लान वर्ष 2011 में समाप्त हो चुका है, परन्तु अब तक नए सर्वे की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि समाप्त हो चुके मास्टर प्लान का हवाला देकर वर्षों पुराने निर्माणों को अवैध बताया जा रहा है, जो न्याय संगत नहीं है।
सौरभ रौतेला, दीपू फर्त्याल, सूरज कुमार, गुंजन रौतेला, आशा आर्या, प्रतिभा जोशी, मोहन सिंह रावत, एवं पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु द्वारा हस्ताक्षरित इस ज्ञापन में कहा गया है कि यदि प्रशासन ने जल्द ही जनता की बात नहीं सुनी तो उग्र जनांदोलन शुरू होगा, जिसकी ज़िम्मेदारी पूरी तरह जिला प्रशासन और सरकार की होगी।
स्थानीय बनाम बाहरी: नीति की अस्पष्टता पर सवाल,भीमताल क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से होटल उद्योग ने तेजी से विस्तार लिया है। जहां एक ओर स्थानीय जनता अपने पुराने मकानों की मरम्मत तक नहीं कर पा रही, वहीं दूसरी ओर करोड़ों के निर्माण बाहरी निवेशकों द्वारा निर्बाध रूप से कराए जा रहे हैं। इससे क्षेत्र में न केवल सामाजिक असंतुलन की स्थिति बन रही है बल्कि भ्रष्टाचार की बू भी साफ़ महसूस हो रही है।
“जनता नहीं डरेगी, अब आर-पार की लड़ाई” – हरीश पनेरु
पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु ने कहा,
“यह जनविरोधी रवैया अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भीमताल की जनता पुश्तैनी धरोहरों को तोड़े जाने की पीड़ा झेल रही है, जबकि करोड़पति बिल्डरों को जिला विकास प्राधिकरण नतमस्तक होकर सुविधाएं दे रहा है। हम इस तानाशाही रवैये के खिलाफ शांतिपूर्ण लेकिन निर्णायक संघर्ष करेंगे।”
कहीं भू-माफियाओं का दबाव तो नहीं?स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी संशय है कि क्या प्राधिकरण पर होटल माफियाओं और बड़े बिल्डरों का दबाव है? यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि जिन भवनों को गिराने या सील करने की कार्रवाई की जा रही है, उनमें अधिकांश स्थानीय और मध्यमवर्गीय लोग हैं।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग,ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस प्रकरण में व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की गई है। निवासियों ने आग्रह किया है कि—एक स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए,पुराने मकानों की वैधता की जांच पारदर्शी ढंग से की जाए,नए मास्टर प्लान का त्वरित सर्वे कराया जाए,बाहरी और स्थानीय निवासियों के लिए समान नियम बनाए जाएं,भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई हो
अगर समाधान नहीं तो देहरादून कूच
ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अगर 25 मई 2025 तक संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो भीमताल की जनता मुख्यमंत्री आवास, देहरादून में धरना प्रदर्शन करेगी। “अब चुप नहीं बैठेंगे, हक की लड़ाई सड़कों पर लड़ी जाएगी,” ऐसा कहते हुए स्थानीय लोगों ने शासन को 10 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है।
rभीमताल एक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ हजारों लोगों की पुश्तैनी पहचान से जुड़ा हुआ क्षेत्र है। विकास प्राधिकरण की कार्यशैली को लेकर उठे ये सवाल न केवल प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि उत्तराखण्ड के नियोजन तंत्र की असल तस्वीर भी उजागर करते हैं। अगर सरकार समय रहते नहीं चेती, तो यह जन असंतोष किसी बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।
