उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले की राजनीति में एक बार फिर वही नाम गूंज रहा है—गंगवार परिवार। पंचायत चुनाव 2025 की रणभेरी में जब भंगा सीट से रेनू गंगवार ने बढ़त बनाई, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि एक परंपरा के फिर से दोहराए जाने का संकेत बन गया।


यह चुनाव किसी सामान्य जनप्रतिनिधि के चयन की प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि सत्ता, रणनीति और पारिवारिक राजनीतिक विरासत के संतुलन की एक जटिल गणितीय प्रक्रिया है—जिसमें जीत केवल बहुमत से नहीं, प्राथमिकताओं की पगडंडी से होकर आती है।
गंगवार परिवार का राजनीतिक गढ़: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही जिला पंचायत अध्यक्षी का पद गंगवार परिवार के प्रभाव से अछूता नहीं रहा। ईश्वरी प्रसाद गंगवार से लेकर अब तक यह परिवार सत्ता की मुख्यधारा में बना हुआ है। रेनू गंगवार की जीत, अगर अंतिम रूप लेती है, तो यह साबित करेगी कि गंगवार परिवार न सिर्फ स्थानीय राजनीति को समझता है, बल्कि उस पर प्रभावशाली पकड़ भी रखता है।
सवाल यह नहीं कि कौन जीत रहा है, सवाल यह है कैसे जीत रहा है
जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रपति चुनाव की तरह एकल संक्रमणीय पद्धति (Single Transferable Vote) से होता है। इसमें सदस्यों को बैलेट पर प्रत्याशियों के नामों के आगे प्रथम, द्वितीय, तृतीय वरीयता अंकित करनी होती है।
इस बार ,35 जिला पंचायत सदस्यों में से यदि कोई प्रत्याशी 17 से अधिक18 प्रथम वरीयता मत पा लेता है, तो उसे सीधे विजयी घोषित कर दिया जाएगा।
लेकिन यदि नहीं, तो फिर चालू होगा जोड़-तोड़ का असली खेल—जो सिर्फ जनाधार नहीं, बल्कि व्यक्तिगत रिश्तों और राजनीतिक सौदों पर आधारित होगा।
‘सब चंगा’ है क्या वाकई?
गंगवार परिवार के लिए भंगा सीट से ‘सब चंगा’ जरूर लग रहा है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि इस बार मुकाबला ज्यादा कठिन है।
पिछली बार की तुलना में इस बार विरोधियों ने गोटियाँ पहले ही बिछा ली हैं, और रेनू गंगवार को हर हाल में ‘बहुमत’ नहीं, विश्वास का बहाव बनाना होगा। इस ‘विश्वास’ की परीक्षा मतदान वाले दिन नहीं, उससे पहले ही शुरू हो जाती है—नामांकन दाखिल होने से लेकर बैकचैनल लॉबिंग तक।
क्या गंगवार तिलिस्म रहेगा बरकरार?
यह चुनाव सिर्फ गंगवार परिवार बनाम बाकी नहीं है, यह एक बड़ा राजनीतिक संकेत है कि क्या उत्तराखंड की पंचायती राजनीति में परिवारवाद की जड़ें और गहरी होंगी, या फिर नई लहर पुराने किलों में सेंध लगाएगी।
रेनू गंगवार यदि इस बार भी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होती हैं, तो यह एक संदेश होगा कि जनता की नहीं, सदस्यों की प्राथमिकताओं पर पकड़ रखने वाला ही विजेता कहलाएगा।
और यदि नहीं, तो यह गंगवार युग के अवसान की शुरुआत हो सकती है।
अंतिम शब्द?उधम सिंह नगर में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अब केवल एक पद का नहीं, राजनीतिक पहचान और शक्ति संतुलन का प्रतीक बन गया है।
राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना भले ही औपचारिक हो, असली चुनाव तो उस समय शुरू होता है जब बैठकें बंद दरवाज़ों के पीछे होती हैं, और प्राथमिकताएं व्यक्तिगत समीकरणों से तय होती हैं।
रेनू गंगवार की बढ़त अगर “फिर सब चंगा” साबित होती है, तो उत्तराखंड पंचायत राजनीति में परिवारवाद की एक और जीत मानी जाएगी। लेकिन अगर कोई अप्रत्याशित नाम सामने आता है, तो यह संकेत होगा कि मतदाता ही नहीं, निर्वाचित सदस्य भी बदलाव चाहते हैं।
निगाहें अब भंगा से निकल कर उधम सिंह नगर के शक्ति समीकरणों पर हैं।
क्या गंगवार परिवार अपनी पकड़ बनाए रखेगा, या कोई नया नाम उभरेगा?फैसला अब सदस्यों के हाथ में है।और यह वही पल है, जब लोकतंत्र के वास्तविक रंग जनता नहीं, चुने गए प्रतिनिधियों की प्राथमिकताओं से झलकते हैं।
शासन और राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारियां तो इसी तरफ इशारा कर रही हैं।
अनंतिम आरक्षण तय
ब्लाक प्रमुख के 89 पदों के लिए जिलों में आरक्षण का निर्धारण पहले ही कर दिया गया था। अब शासन ने जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए भी अनंतिम आरक्षण तय कर दिया है।
अब छह अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग को भी आरक्षण की अंतिम सूची मिलने का इंतजार है।
सूत्रों के अनुसार शासन और राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर से प्रयास किया जा रहा है कि जिला पंचायतों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और क्षेत्र पंचायतों में प्रमुख, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों का चुनाव 15 अगस्त तक संपन्न करा लिया जाए। इसी हिसाब से तैयारियां की जा रही है। छह अगस्त को जिपं अध्यक्ष पदों पर आरक्षण की सूची मिलते ही आयोग इसी दिन चुनाव का कार्यक्रम जारी कर सकता है।
ब्लाक प्रमुख पदों पर आरक्षण
- श्रेणी, पदों की संख्या
- अनुसूचित जनजाति महिला, 03
- अनुसूचित जाति, 04
- अनुसूचित जाति महिला, 12
- अन्य पिछड़ा वर्ग, 01
- अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, 05
- सामान्य महिला, 28
- अनारक्षित, 36
🖋️ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
रुद्रपुर ब्यूरो

