कलियुग का आरंभ और उसके लक्षण क लियुग की शुरुआत राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद मानी जाती है, और इसे लगभग 5000 वर्ष हो चुके हैं। इस दौरान मानवता में कई बदलाव आए हैं। कल्पना कीजिए, जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तब मानव का व्यवहार कितना विकृत होगा।

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पुराणों में कुछ संकेत दिए गए हैं, जिनसे पता चलेगा कि कलियुग का अंत निकट है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

मनुष्यों के लक्षण

पहला लक्षण: भविष्य पुराण के अनुसार, जब कलियुग का अंत निकट होगा, तब मनुष्यों की औसत आयु घटकर 20 वर्ष रह जाएगी। महिलाएं 5 वर्ष की उम्र में ही मातृत्व का अनुभव करेंगी।

दूसरा लक्षण: जब कलियुग का अंत होगा, तब लोग ऐसे यज्ञ करेंगे जिनका शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं होगा। इन यज्ञों का उद्देश्य मानवता का विनाश होगा, जिससे ग्रहों की स्थिति भी प्रभावित होगी।

तीसरा लक्षण: उस समय, पुत्र अपने पिता को काम पर भेजेंगे, और बहुएं सास से घर का काम करवाएंगी। पति-पत्नी एक-दूसरे को छोड़कर अन्य लोगों के साथ संबंध बनाएंगे।

चौथा लक्षण: कलियुग के अंत में, लोग धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करना छोड़ देंगे और खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी मानेंगे। भगवान की पूजा भी समाप्त हो जाएगी, और क्रोध तथा लोभ प्रमुख गुण बन जाएंगे।

पांचवा लक्षण: अधर्म के कारण नदियां सूख जाएंगी, जिससे अन्न उत्पादन बंद हो जाएगा। लोग मांसाहारी बन जाएंगे और गायें भी दूध देना बंद कर देंगी।

छठा लक्षण: अंत में, मानवता मलेच्छ बन जाएगी। पिता-पुत्र और पुत्र-पिता के बीच हत्या की घटनाएं बढ़ जाएंगी, और विवाह का पवित्र बंधन समाप्त हो जाएगा।


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