
अब अधिकारी रिपोर्ट तैयार कर इसे शासन में भेजेंगे। जहां से इसमें निर्णय लिया जाएगा। बता दें कि देहरादून एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए कुल 53 हेक्टेयर भूमि का होगा उपयोग किया जाएगा, जिसमें से 48 हेक्टेयर भूमि वन विभाग और 5.344 हेक्टेयर निजी भूमि है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करने के लिए देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाना जरूरी है। इसके लिए एयरपोर्ट का विस्तारीकरण होना है। जिसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी देहरादून ने भी बैठक में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिए थे। इसके बाद बुधवार को तहसील प्रशासन की टीम के साथ ही युकाडा व अन्य विभागों की टीम ने एयरपोर्ट के समीप करीब 5.344 हेक्टेयर निजी भूमि का सर्वे पूरा किया, जिसमें 43 घर चिह्नित करते हुए 90 परिवारों को यहां से विस्थापित किया जाना है, जिसमें से केवल 60 परिवार ही मूल टिहरी विस्थापित है।
वहीं इस अधिग्रहण में अपने रिश्तेदारों के साथ ही अन्य चार परिवार भी अपना विस्थापन चाहते हैं। इसको लेकर उनकी भी रिपोर्ट अधिकारियों ने अलग से तैयार की है। वहीं करीब 48 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण से पूर्व इसमें पेड़ों की गिनती पूरी कर ली गई है, जिसमें करीब छह हजार पेड़ जिसमें साल, सागौन, शीशम, खेर के अलावा अन्य मिश्रित वन हैं। जो कि इस विस्तारीकरण की जद में आएगा।
भूमि स्थानांतरण के बाद इन पेड़ों को हटाने का कार्य भी किया जाएगा। इसके बाद एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का तैयार किया जा सकेगा। इस अवसर पर राजस्व उप निरीक्षक प्रदीप सिंह, युकाडा से एमएल आर्य, एसएलओ कार्यालय से पवन नौटियाल आदि मौजूद रहे
हवाई अड्डा विस्तारीकरण की कार्रवाई को लेकर प्रशासन की टीम ने मौके पर प्रभावितों का सर्वे पूरा कर लिया है उसके बाद रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को भेजी जाएगी। कुल करीब 53 हेक्टेयर भूमि इसके लिए ली जानी है। इसके बाद उनके विस्थापन आदि की कार्रवाई प्रारंभ होगी।
-अपर्णा ढौंडियाल उप जिलाधिकारी डोईवाला
वन विभाग ने पेड़ों की गिनती का कार्य पूर्ण कर लिया है। इन पेड़ों में साल, सागौन, शीशम, खैर आदि के पेड़ इसकी जद में आ रहे है। इनमें कुछ छोटे पेड़ भी गिनती में लिए गए है। जिन्हें शिफ्ट भी किया जा सकेगा। केवल अधिक गोलायी व बड़े पेड़ ही काटने की जरूरत पड़ेगी।
-नत्थीलाल डोभाल, रेंजर थानों
