
दरअसल, यह कहानी शुरू होती है 31 मार्च से, जब पुलिस ने एक अज्ञात 45 वर्षीय व्यक्ति को गंभीर हालत में अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया. सड़क हादसे में घायल इस व्यक्ति की हालत नाजुक थी, पसलियां टूटी हुई थीं, ब्रेन हेमरेज हो चुका था और दोनों पैरों की हड्डियां भी क्षतिग्रस्त थीं. उस वक्त कोई नहीं जानता था कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक परिवार के पुनर्मिलन की शुरुआत है.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
अस्पताल में उन्हें वासुदेवभाई जोशी के नाम से पहचाना गया, जिनकी हालत इतनी गंभीर थी कि बचने की संभावना बेहद कम थी. लेकिन डॉक्टरों की टीम ने हार नहीं मानी. डॉ. शैलेश रामवत, डॉ. जय तुरखिया के नेतृत्व में डॉ. धवल काकड़िया, डॉ. हिरेन कटारिया, डॉ. ऋत्विक कानाणी और अन्य रेजिडेंट डॉक्टरों ने मिलकर दिन-रात मेहनत की. तीन जटिल ऑपरेशनों के बाद आखिरकार वासुदेवभाई को होश आया.
जब वासुदेवभाई होश में आए, तो उनकी पहचान जानने का प्रयास शुरू हुआ. बातचीत में उन्होंने बताया कि वे उत्तराखंड के चंपावत जिले के निवासी हैं. इस जानकारी के आधार पर अस्पताल प्रशासन ने उत्तराखंड पुलिस से संपर्क किया. जांच में यह सामने आया कि वासुदेवभाई के गुमशुदगी की रिपोर्ट सालों पहले उनके परिवार द्वारा दर्ज कराई गई थी.
उत्तराखंड पुलिस ने परिवार को सूचित किया
उत्तराखंड पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए परिवार को सूचित किया, जिसके बाद वासुदेवभाई का बेटा अमित जोशी और भाई तुरंत राजकोट पहुंचे. जब अमित ने पहली बार अपने पिता को देखा तो फूट-फूट कर रो पड़ा. अमित ने बताया कि जब उनके पिता लापता हुए थे, तब वे बहुत छोटे थे. उन्होंने कभी अपने पिता को देखा ही नहीं था. आज जब वर्षों बाद पहली बार सामने देखा, तो वे भावनाओं पर काबू नहीं रख सके.
अस्पताल स्टाफ ने भी वासुदेवभाई की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी. वॉर्ड के नर्सिंग स्टाफ से लेकर डॉक्टरों तक सभी ने मानवीय सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया. इस भावुक मिलन के लिए अमित जोशी ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, आपने सिर्फ मेरे पिता को नहीं, बल्कि हमारे पूरे परिवार को लौटा दिया है.
वासुदेवभाई के बारे में यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि वे राजकोट कैसे पहुंचे और इन 15 वर्षों में कहां रहे, लेकिन उनके मानसिक स्वास्थ्य और ब्रेन हेमरेज को देखते हुए यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि वे मानसिक भ्रम की स्थिति में घर से भटक गए होंगे.

