रेनू जोशी : एपर्ण की रेखाओं से रचती हैं उत्तराखंड की सांस्कृतिक क्रांति ✍️ अवतार सिंह बिष्ट,

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रुद्रपुर से उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा, उसकी विरासत, उसकी लोककला — सब कुछ आज फिर से सांस लेने को बेताब है। इसी धड़कती हुई विरासत को अपने रंगों और रेखाओं से जीवन दे रही हैं रुद्रपुर की रेनू जोशी, जो एपर्ण कला की पारंपरिक परंपरा को आज के मंचों पर न केवल सजा रही हैं, बल्कि उसे वैश्विक ऊंचाइयों तक पहुंचाने का सपना भी संजोए बैठी हैं।

फूलसुंघा की वह खुशबू – रेनू जोशी

रुद्रपुर की एक बस्ती — फूलसुंघा — जहां जिम्मेदारियों के बोझ के साथ एक महिला हर दिन अपनी कला को संवारती है, सजाती है, निखारती है। रेनू जोशी, जो प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं, घर-परिवार की जिम्मेदारियों के बीच भी एपर्ण चित्रकला, गीत, नृत्य, और लोकसंस्कृति को आत्मसात कर चुकी हैं।

उनकी आंखों में एक स्वप्न है — उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित करना। और कहना पड़ेगा — वो इस दिशा में पूरी तरह अग्रसर हैं।


एपर्ण कला क्या है?एपर्ण (Apan या Aipan) उत्तराखंड की एक प्राचीन लोकचित्रकला है, जो खासतौर पर कुमाऊं क्षेत्र में विकसित हुई। इसे चावल के आटे के घोल से लाल मिट्टी या गेरू से पुते धरातल पर बनाया जाता है। यह चित्रकला शुभ अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों और विवाह संस्कारों में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें पवित्रता, आस्था और सौंदर्य तीनों समाहित होते हैं।


एपर्ण कला अष्टदल कमल एपर्ण– शादी-ब्याह और धार्मिक अनुष्ठानों में बनाया जाता है।स्वस्तिक एपर्ण

  1. – सुख, समृद्धि और मंगल का प्रतीक।शंख और चक्र एपर्ण
  2. – विष्णु पूजा में विशेष रूप से प्रयुक्त।लक्ष्मी पदचिह्न एपर्ण
  3. – दीपावली और धनतेरस पर घर के मुख्य द्वार पर बनते हैं।
  4. सरस्वती चौकी एपर्ण– विद्या आरंभ, परीक्षा या संगीत कला के अवसर पर।नवरात्रि एवं पूजा चौकी एपर्ण
  5. – देवी आराधना में, विशेष रूप से कन्या पूजन में।

रेनू जोशी की कला में इन सभी रूपों की झलक मिलती है — परंपरा का सम्मान और नवाचार का उत्साह दोनों एक साथ।


रेनू जोशी की कला की पहचान?रेनू जोशी ने एपर्ण कला को महज एक परंपरा नहीं, बल्कि एक मिशन बना लिया है। उनकी कृतियों में पहाड़ की नैसर्गिकता, नारीत्व की शक्ति, और संस्कृति की ध्वनि साफ सुनाई देती है। उनकी बनाई गई चित्रों की ऑनलाइन डिमांड आज अमेरिका, जर्मनी, दुबई तक से आ रही है।

लेकिन रेनू का सपना केवल ऑर्डर लेना नहीं — उनका सपना है:मैं चाहती हूं कि एपर्ण कला उत्तराखंड के कोने-कोने से निकलकर देश के हर मंच पर पहुंचे — और पहाड़ की बेटियां भी इस कला के जरिए आत्मनिर्भर बनें।”


उत्तराखंड की एपर्ण सुपरस्टार : रेनू जोशी?रेनू जोशी न तो किसी सरकारी पुरस्कार के पीछे भाग रही हैं, न ही किसी मंच पर खुद को थोप रही हैं। लेकिन आज जिस तरह उनके बनाए चित्र वायरल हो रहे हैं, जिस प्रकार लोग उनसे संपर्क कर उनके बनाए एपर्ण डिज़ाइन सीखना चाह रहे हैं — उससे साफ है कि वे उत्तराखंड की लोककला की सुपरस्टार बन चुकी हैं।

जहां एक ओर हम ग्लैमर की चकाचौंध में पारंपरिक कलाओं को भूलते जा रहे हैं, वहीं रेनू जोशी जैसी महिलाएं हमें याद दिलाती हैं कि जड़ों से जुड़कर ही ऊंचाई पाई जा सकती है।


हमारी संपादकीय शुभकामनाएं?हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की ओर से हम रेनू जोशी को हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं — कि उनका कला सफर यूं ही आगे बढ़े।उनके जैसे कलाकार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचा रहे हैं, बल्कि समाज में आत्मसम्मान, रोजगार और सृजनात्मकता का नया पथ खोल रहे हैं।

उत्तराखंड की धरोहर – एपर्ण

एपर्ण की धरोहर – रेनू जोशी


यदि आपके शहर में, आपके गांव में, आपके आस-पास कोई रेनू जोशी जैसी सांस्कृतिक प्रेरणा मौजूद हो, तो हमें जरूर बताएं — क्योंकि असली भारत वहीं है, जो अपनी मिट्टी से चिपका है।

✒️ संपर्क करें: editorial@hindustanglobaltimes.in



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