
देहरादून/रुद्रपुर, 22 जुलाई 2025 – उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश के बाद पैदा हुए बिजली संकट ने राज्य की जनता और उद्योगों की नींद उड़ा दी है। सोमवार को राज्य के विभिन्न इलाकों में स्थित नौ जलविद्युत परियोजनाओं (हाइड्रो पावर हाउस) को अचानक बंद करना पड़ा, जिससे एक झटके में 646 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गया। इसके परिणामस्वरूप राज्य भर में आपातकालीन बिजली कटौती (emergency power cut) करनी पड़ी। देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर जैसे प्रमुख जिलों के साथ ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों तक बिजली संकट की चपेट में आ गए।
बारिश बनी संकट की जड़: नदियों में गाद (सिल्ट) बढ़ने से हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बंद
लगातार हो रही भारी बारिश के कारण उत्तराखंड की प्रमुख नदियों – भागीरथी, यमुना, कोसी, टौंस, शारदा आदि – में सिल्ट की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई। विशेषज्ञों के अनुसार यह सिल्ट यदि पावर प्रोजेक्ट्स के टरबाइनों में पहुंच जाए तो इससे मशीनों को भारी नुकसान हो सकता है। इसी खतरे को देखते हुए बिजली उत्पादन निगम (UJVNL) को नौ पावर हाउसों को एहतियातन बंद करना पड़ा।


ठप पड़े ये नौ पावर हाउस
सिल्ट के कारण राज्य के निम्न पावर हाउसों को चरणबद्ध तरीके से बंद किया गया:
क्रमांक | पावर हाउस | स्थान | स्थिति |
---|---|---|---|
1 | मनेरी भाली-I | उत्तरकाशी | बंद |
2 | मनेरी भाली-II | उत्तरकाशी | बंद |
3 | छिबरो पावर हाउस | पछवादून | बंद |
4 | खोदरी पावर हाउस | पछवादून | बंद |
5 | कुल्हाल पावर हाउस | पछवादून | बंद |
6 | व्यासी पावर हाउस | पछवादून | बंद |
7 | ढकरानी पावर हाउस | पछवादून | बंद |
8 | ढालीपुर पावर हाउस | पछवादून | बंद |
9 | खटीमा पावर हाउस | उधमसिंह नगर | बंद |
बिजली सप्लाई व्यवस्था चरमराई, नेशनल ग्रिड से भी मदद नहीं मिली
बिजली उत्पादन में अचानक आई इस गिरावट के कारण उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने नेशनल ग्रिड से अतिरिक्त बिजली ओवरड्रा करने की कोशिश की, लेकिन देशभर में मॉनसून के चलते पहले से ही बिजली की मांग चरम पर होने के कारण वह प्रयास असफल रहा। इससे शाम 7 बजे के बाद पूरे राज्य में चरणबद्ध तरीके से बिजली कटौती लागू करनी पड़ी।
बिजली कटौती से प्रभावित क्षेत्र
राजधानी देहरादून के मुख्य नगर निगम क्षेत्र को कुछ राहत दी गई, लेकिन इसके बाहर के लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित रहे:
- देहरादून: डोईवाला, सेलाकुईं, सहसपुर, हबर्टपुर, ऋषिकेश, श्यामपुर, रायवाला
- हरिद्वार: बहादराबाद, ज्वालापुर, लक्सर, रूड़की के ग्रामीण क्षेत्र
- उधमसिंह नगर: किच्छा, गदरपुर, जसपुर, सितारगंज, बाजपुर, दिनेशपुर, खटीमा
- नैनीताल: हल्द्वानी के बाहरी क्षेत्र, लालकुआं, बिंदुखत्ता, रामनगर
- टिहरी-चमोली-पौड़ी: कई ग्रामीण क्षेत्रों में देर रात तक ब्लैकआउट
उद्योगों पर भी पड़ा असर
उत्तराखंड के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र जैसे रुद्रपुर-सितारगंज, हरिद्वार-रानीपुर और सेलाकुईं में कई फैक्ट्रियों को उत्पादन रोकना पड़ा। रुद्रपुर इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि बिना पूर्व सूचना बिजली कटौती से भारी नुकसान हुआ और कई यूनिटों में मशीनें अचानक बंद हो गईं।
संकट की गंभीरता: यह महज प्राकृतिक आपदा या सिस्टम की विफलता?
राज्य में बिजली संकट से एक बड़ा सवाल भी उठ खड़ा हुआ है – क्या उत्तराखंड, जो स्वयं को ऊर्जा प्रदेश कहता है, इतनी जल्दी आपात स्थिति में चला जाता है? जानकारों का कहना है कि हाइड्रो आधारित बिजली उत्पादन प्रणाली में वर्षा ऋतु में गाद (सिल्ट) का आना सामान्य बात है, लेकिन इसके लिए कोई बैकअप सिस्टम नहीं होना एक नीतिगत विफलता को दर्शाता है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
ऊर्जा विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. भट्ट के अनुसार:
“उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां बिजली का अधिकांश हिस्सा जलविद्युत परियोजनाओं पर निर्भर करता है, वहां हर मानसून में सिल्ट की समस्या का समाधान ढूंढना अनिवार्य है। यह तकनीकी और प्रशासनिक दोनों तरह की तैयारियों की मांग करता है।”
अब क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- UJVNL की टीमें सभी प्रभावित पावर प्रोजेक्ट्स में सिल्ट फ्लशिंग का काम कर रही हैं।
- उम्मीद है कि दो दिन में कुछ पावर हाउसों से उत्पादन आंशिक रूप से बहाल हो सकता है।
- UPCL की ओर से रोटेशनल लोड शेडिंग की योजना तैयार की गई है ताकि प्रमुख सेवाओं जैसे अस्पतालों, जलापूर्ति योजनाओं को बिजली मिलती रहे।
जनता की प्रतिक्रिया और गुस्सा
ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों के नागरिकों ने सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। कई लोगों ने कहा कि बिना पूर्व सूचना बिजली जाने से उनकी दिनचर्या और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई तक प्रभावित हुई।
यह संकट उत्तराखंड के लिए चेतावनी है कि जलविद्युत पर अंधाधुंध निर्भरता के साथ बिना मजबूत बैकअप व्यवस्था के आगे बढ़ना एक गंभीर चूक है। यदि राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है, तो उसे सौर ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज सिस्टम और स्मार्ट ग्रिड जैसे विकल्पों पर तुरंत निवेश शुरू करना होगा।
रिपोर्ट: अवतार सिंह बिष्ट
विशेष संवाददाता, शैल ग्लोबल टाइम्स | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
रुद्रपुर, उत्तराखंड

