मुंबई में कभी दहशत का प्रयाय रह चुके अंडरवर्ल्‍ड डॉन अरुण गवल की रिहाई हो गई है। हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जमानत मंजूर किए जाने के बाद गवली अब 17 साल बाद नागपुर जेल से बाहर आया।

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वहां से फ्लाइट लेकर वो मुंबई के लिए रवाना हुआ। आपको बता दें कि अरुण गवली 2004 में विधायक बना था, अखिल भारतीय सेना के उम्मीदवार के रूप में मुंबई की चिंचपोकली विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। विधायक का कार्यकाल 2004 से 2009 तक रहा।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

उसके बाद शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की 2012 में हुई हत्या के मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने अरुण गवली को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में उसे नागपुर की जेल में उम्रकैद की सजा काटने के लिए भेज दिया गया था।

अच्छा आचरण बना जमानत का आधार

गवली के वकील मीर नगमान अली ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने पिछली बार जब भी परोल या फरलो पर बाहर आने का अवसर पाया, सभी शर्तों का पालन किया। उनका आचरण हमेशा नियमों के अनुरूप रहा, जो यह दर्शाता है कि वह रिहाई के बाद भी अदालत की सभी शर्तों का पालन करेंगे।

अरुण गवली की क्राइम कुंडली

अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखता था और उसके पिता गुलाबराव मजदूरी और बाद में मुंबई की सिम्पलेक्स मिल में काम करते थे। उनकी मां लक्ष्मीबाई गृहिणी थीं। आर्थिक तंगी के कारण गवली ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी और कम उम्र में ही काम शुरू कर दिया था।

1980 और 1990 के दशक में वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख चेहरा हुआ करता था। सेंट्रल मुंबई के दगड़ी चॉल क्षेत्र में अपने गैंग की वजह से उसका नाम काफी चर्चा में रहता था। 1980 के दशक में, गवली ने दाऊद इब्राहिम के साथ काम किया, लेकिन 1988 में रामा नाइक की हत्या के बाद दोनों में दुश्मनी हो गई। गवली स्थानीय मराठी समुदाय में लोकप्रिय था। 1990 के दशक में, मुंबई पुलिस के बढ़ते दबाव और गैंगवार से बचने के लिए गवली ने राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय सेना (ABS) नामक पार्टी बनाई। 2004 में वह चिंचपोकली से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बना।


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