2025: इस वर्ष सावन अमावस्या का शुभ पर्व 24 जुलाई, गुरुवार को मनाया जाएगा। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व पितरों की शांति और कृपा प्राप्त करने के लिए होता है।

Spread the love

प्रातः स्नान करके व्यक्ति पितरों को प्रसन्न करने हेतु तर्पण, दान, और श्राद्ध आदि करता है। माना जाता है कि इन कर्मों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इसके लिए स्नान और दान के बाद पितृ सूक्तम् का पाठ अवश्य करें। यह पाठ पितरों को संतुष्ट करता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

पितृ सूक्तम्

उदिताम् अवर उत्परास
उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यఽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते
नो ఽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥
अंगिरसो नः पितरो नवग्वा
अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।
तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम्
अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥2॥
ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो
ఽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।
तेभिर यमः सरराणो हवीष्य
उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥3॥
त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा
त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।
तव प्रणीती पितरो न देवेषु
रत्नम् अभजन्त धीराः॥4॥
त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे
कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।
वन्वन् अवातः परिधीन् ఽरपोर्णु
वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥5॥
त्वं सोम पितृभिः संविदानो ఽनु
द्यावा-पृथिवीఽ आ ततन्थ।
तस्मै तఽ इन्दो हविषा विधेम
वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥6॥
बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा
वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
तఽ आगत अवसा शन्तमे
नाथा नः शंयोर ఽरपो दधात॥7॥
आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ఽअवित्सि
नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त
पित्वः तఽ इहागमिष्ठाः॥8॥
उपहूताः पितरः सोम्यासो
बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
तఽ आ गमन्तु तఽ इह श्रुवन्तु
अधि ब्रुवन्तु ते ఽवन्तु-अस्मान्॥9॥
आ यन्तु नः पितरः सोम्यासो
ఽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ఽधि
ब्रुवन्तु ते ఽवन्तु-अस्मान्॥10॥
अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत
सदःसदः सदत सु-प्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था
रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥11॥
येఽ अग्निष्वात्ता येఽ अनग्निष्वात्ता
मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।
तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम्
यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥12॥
अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे
नाराशं-से सोमपीथं यఽ आशुः।
ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु
वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥13॥
आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य
इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो
यद्व आगः पुरूषता कराम॥14॥
आसीनासोఽ अरूणीनाम् उपस्थे
रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत
तఽ इह ऊर्जम् दधात॥15॥
ओम शांति: शांति: शांति:✍️ अवतार सिंह बिष्ट,
संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!

पितृ सूक्तम् के पाठ से मिलने वाले लाभ:

  • यह पाठ पितृ दोष को शांत करता है, जिससे संतान से जुड़ी समस्याएं, विवाह में रुकावटें और पूर्वजों के श्राप से छुटकारा मिलता है।
  • नियमित रूप से इस पाठ को करने से घर के वातावरण में सकारात्मकता आती है और तनाव दूर होता है।
  • माना जाता है कि यह पाठ पितरों को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है और उनकी आत्मा को सुकून मिलता है।
  • जब पितर प्रसन्न होते हैं, तो वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी नई पीढ़ी को सफलता का मार्ग दिखाते हैं।

Spread the love