उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक मस्जिद गिराने की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में सात पुलिसकर्मियों समेत 27 लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों का आरोप था बाड़ाहाट इलाके में बनी मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है.अब उत्तरकाशी में एक मस्जिद की वैधता पर सवाल उठाने वाले दक्षिणपंथी समूहों के एक संघ द्वारा आयोजित रैली के दौरान भड़की हिंसा में पुलिसकर्मियों और कई अन्य लोगों के घायल होने के एक दिन बाद, पुलिस ने अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों के तहत 150-200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की है.

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उत्तरकाशी कोतवाली इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह की शिकायत के आधार पर शुक्रवार को दर्ज की गई एफआईआर में रैली में शामिल लोगों पर धार्मिक भावना भड़काने और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि रैली में शामिल लोगों ने हिंसा की जिसके परिणामस्वरूप पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आईं और ड्यूटी पर मौजूद महिला अधिकारियों की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई.संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को रैली निकाली थी, जिसमें दावा किया गया था कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी शहर में एक मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी और इसे गिराए जाने की मांग की गई थी. हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मस्जिद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के नाम पंजीकृत भूमि पर कानूनी रूप से बनाई गई थी.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

उत्तरकाशी में मस्जिद का विवाद बढ़ा

एफआईआर के अनुसार, रैली को हनुमान चौक से शुरू होकर सिंगल तिराहा, काली कमली, पेट्रोल पंप, बस स्टैंड और सब्जी मंडी से होते हुए रामलीला मैदान पर समाप्त होने की अनुमति थी। हालांकि, सिंगल तिराहा पहुंचने पर प्रतिभागियों ने कथित तौर पर मार्ग को चिह्नित करने के लिए लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ना शुरू कर दिया. इस FIR में आरोप लगाया गया है कि इसके बाद रैली हिंसक हो गई और इसमें शामिल लोगों ने पुलिस अधिकारियों और अन्य अधिकारियों पर लाठियों और पत्थरों से हमला कर दिया. इसमें यह भी कहा गया है कि भड़काऊ भाषण भी दिए गए और पुलिस तथा एक विशेष समुदाय के खिलाफ नारे लगाए गए.

कम से कम सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल

एफआईआर के मुताबिक, कम से कम सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए और अधिकारियों को खुद को भारी पथराव से बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा. महिला अधिकारियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया, उन्हें धक्का दिया गया और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया. FIR में कहा गया है कि रैली में शामिल लोगों ने एकजुट होकर धार्मिक भावनाएं भड़काने, दुश्मनी को बढ़ावा देने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया. रैली में शामिल लोगों पर अपने रास्ते में बंद दुकानों में तोड़फोड़ करने का भी आरोप है.

बंद दुकानों में तोड़फोड़ करने का भी आरोप

एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं उनमें जितेंद्र चौहान, सोनू नेगी, सूरज डबराल, कुलवीर राणा, सुशील शर्मा, गौतम रावत, आलोक रावत और सचेंद्र परमार शामिल हैं. अन्य 150-200 अज्ञात लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया.एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत दर्ज की गई थी, जिसमें हत्या का प्रयास और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना शामिल था.


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