जब देश के कोने-कोने से सैलानी कश्मीर के सपनों के पीछे दौड़ते हैं, तो वे अक्सर डर और असुरक्षा के माहौल में अपने लाखों रुपए खर्च कर आते हैं। आतंकवाद की चपेट में आया कश्मीर भले ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हो, पर आज वह भय का पर्याय बन गया है। ऐसे में, क्यों न भारतवासी एक नई दृष्टि अपनाएं और उस भूमि की ओर रुख करें, जहां साक्षात देवताओं का वास है — देवभूमि उत्तराखंड।


उत्तराखंड सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और अध्यात्म का जीवंत स्वरूप है। यहां हर घाटी, हर पर्वत, हर जलधारा एक तीर्थ है। यहां बहती है गंगा और यमुना, जो हजारों वर्षों से हमारी सभ्यता का पोषण कर रही हैं। यहीं बद्रीनाथ और केदारनाथ में ईश्वर स्वयं अवतरित होते हैं। जागेश्वर के प्राचीन मंदिरों से लेकर कसार देवी की ऊर्जावान वादियों तक, यहां हर जगह दिव्यता बिखरी है।
यह वही उत्तराखंड है, जहां माता पार्वती और भगवान शिव का पवित्र विवाह संपन्न हुआ था। जहां भोलेनाथ आज भी कैलाश के रूप में वास करते हैं। जहां मां भगवती स्वयं विभिन्न स्वरूपों — पूर्णागिरी, धारी देवी, चंडी देवी, सुरकुंडा देवी — में भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। जहां हिमालय की गोद में स्थित हेमकुंड साहिब सिख श्रद्धालुओं का ह्रदय बनता है।
उत्तराखंड का आत्मीय आमंत्रण
जब कश्मीर में असुरक्षा का साया गहराता जा रहा है, उत्तराखंड अपनी सरलता, आतिथ्य और शांति से हर यात्री का स्वागत कर रहा है। यहां के लोग सीधे-सच्चे हैं, भोजन सस्ता है, आवास सुविधाजनक है और सबसे बड़ी बात — हर कदम पर आत्मा को छू जाने वाली दिव्यता का अनुभव होता है।
उत्तराखंड के पास वह सब कुछ है जो एक सच्चे यात्री को चाहिए :
- अध्यात्म के लिए : बद्रीनाथ, केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मध्यमहेश्वर, जागेश्वर, गोलू देवता, हनुमान धाम।
- प्रकृति प्रेमियों के लिए : नैनीताल, भीमताल, सातताल, टिहरी झील, हर्षिल, मुनस्यारी, कौसानी।
- साहसिक यात्राओं के लिए : पिंडारी ग्लेशियर, मिलम ग्लेशियर, सुंदरढूंगा ग्लेशियर, हर की दून, केदारकांठा।
- सांस्कृतिक धरोहर के लिए : बैजनाथ मंदिर, बागनाथ धाम, सेम मुखेम देवता, बूढ़ा केदार, बाणासुर किला।
- पवित्र शक्तिपीठों के लिए : पूर्णागिरी धाम, कोकिला देवी, दीवा देवी, कालीमठ।
उत्तराखंड का हर रास्ता, हर घाटी, हर मंदिर एक अलौकिक ऊर्जा से भरा है, जो जीवन को सार्थकता से भर देता है।
उत्तराखंड : धार्मिक, आध्यात्मिक, राजनीतिक और आर्थिक स्वावलंबन का प्रतीक
उत्तराखंड न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन रहा है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी पर्यटन, जैविक खेती, जड़ी-बूटी उत्पादन, योग एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। आज जब कश्मीर में अस्थिरता बढ़ती जा रही है, देवभूमि उत्तराखंड भारत को एक नई उम्मीद और एक मजबूत विकल्प प्रदान कर रहा है।
यह राज्य अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रहा है। धार्मिक पर्यटन, ट्रेकिंग, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री, हैंडलूम, ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे क्षेत्रों में उत्तराखंड ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
उत्तराखंड : एक नई परिकल्पना
उत्तराखंड की परिकल्पना मात्र एक राज्य निर्माण की नहीं थी, बल्कि एक ऐसी भूमि की स्थापना की थी जहां विकास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संतुलन बना रहे। जहां इंसान प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व में रहे। आज भी जब हम उत्तराखंड के गांव-गांव, घाटी-घाटी में देवताओं की उपस्थिति महसूस करते हैं, तो यह एहसास और गहरा हो जाता है कि यह धरती साधारण नहीं, एक विशिष्ट ईश्वरीय उपहार है।
तो आइए,उत्तराखंड
भय और आतंक से दूर एक ऐसी भूमि पर आइए, जहां आत्मा को शांति मिलती है, और जहां हर सांस में प्रकृति, भक्ति और जीवन का उत्सव है।
उत्तराखंड में आइए — सुखद स्मृतियां संजोकर ले जाइए।

