लालपुर टोल पर सत्ता का नशा! भाजपा नेता विपिन जल्होत्रा और उसके गुंडों ने टोल कर्मचारियों को बेरहमी से पीटा—कुर्ता-पजामा पहने ‘माननीय’ खुद लात-घूंसे बरसाते दिखे। पुलिस चौकी पास में ही थी—फिर भी मौन? SSP ने FIR के आदेश तो दिए, लेकिन गिरफ्तारी कब होगी? सवाल जनता पूछ रही है: क्या भाजपा नेता कानून से ऊपर हैं? वीडियो होने के बाद भी ऐक्शन क्यों नहीं? क्या उत्तराखंड में पुलिस सिर्फ कमजोरों पर ही सख्त है?

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लालपुर टोल प्लाजा पर भाजपा नेता की गुंडागर्दी, टोलकर्मियों से की बेरहमी से मारपीट, SSP ने FIR के दिए आदेश

रुद्रपुर (उत्तराखंड), 6 अप्रैल:

बीती रात लालपुर टोल प्लाजा पर एक शर्मनाक घटना सामने आई जब भाजपा नेता और रुद्रपुर ब्लॉक प्रमुख के पति विपिन जल्होत्रा पर टोल कर्मचारियों के साथ मारपीट करने के आरोप लगे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में जल्होत्रा और उनके समर्थकों को कर्मचारियों के साथ हाथापाई करते, लात-घूंसे मारते साफ देखा जा सकता है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]

घटना का वीडियो वायरल:

वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह सत्ता का रोब दिखाते हुए आरोपी ने कर्मचारियों को जमीन पर गिराकर पीटा। प्लाजा के भीतर घुसकर मारपीट की गई, जिससे कई कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह घटना न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग की चिंताजनक तस्वीर भी पेश करती है।

पुलिस की भूमिका संदिग्ध:

यह पूरी घटना उस टोल प्लाजा पर हुई जहां पास में ही पुलिस चौकी मौजूद है। बावजूद इसके, हमले के दौरान पुलिस की कोई सक्रियता नहीं दिखी। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या सत्ता के दबाव में पुलिस भी मूकदर्शक बन गई?

SSP ने दिए FIR के आदेश:

एसएसपी मणिकांत मिश्र ने मामले का संज्ञान लेते हुए संबंधित धाराओं में FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, खबर लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

जनता का आक्रोश:

स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए सरकार और पुलिस प्रशासन से तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। लोग पूछ रहे हैं—जब वीडियो फुटेज मौजूद है, तो कार्रवाई में देरी क्यों?

सवाल अब भी कायम हैं:

  • क्या सत्ता में बैठे लोग कानून से ऊपर हैं?
  • क्या उत्तराखंड पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाएगी?
  • क्या दोषियों को सज़ा मिल पाएगी, या फिर मामला दबा दिया जाएगा?

यह सिर्फ एक टोल प्लाजा की घटना नहीं है, यह कानून, पुलिस व्यवस्था और राजनीतिक संरचना पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। उत्तराखंड पुलिस को अब सिर्फ FIR नहीं, ठोस कार्रवाई करके यह सिद्ध करना होगा कि कानून सभी के लिए समान है।



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