
रुद्रपुर,उत्तराखंड के औद्योगिक शहर रुद्रपुर में स्थित विशाल मेगा मार्ट एक समय पर लोगों के लिए शॉपिंग का प्रमुख केंद्र था। लेकिन अब यही परिसर जन सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंता का विषय बन गया है। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की टीम ने जब स्थल पर तहकीकात की, तो सुरक्षा मानकों की खुल्लमखुल्ला अनदेखी देखकर हम चौंक उठे। क्या रुद्रपुर प्रशासन और फायर ब्रिगेड विभाग गहरी नींद में हैं? या यह कोई मिलीभगत का परिणाम है?
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
भीतर का हाल: मौत को दावत देते हालात,ग्राउंड फ्लोर, फर्स्ट फ्लोर और सेकंड फ्लोर—तीनों मंजिलों की सीढ़ियों के दोनों ओर कपड़े, चप्पल, बिस्किट, क्रोकरी, प्लास्टिक सामग्री जैसे वस्तुएं ठूंस-ठूंस कर रखी गई हैं। कई स्थानों पर मात्र डेढ़ फीट की संकरी जगह ही बची है आवागमन के लिए। यह स्थिति आपातकालीन निकासी (Emergency Exit) के सिद्धांतों का सरासर उल्लंघन है।


सेकंड फ्लोर पर कई स्थानों पर तो आने-जाने की चौड़ाई सिर्फ 2 फीट है, जिससे आपात स्थिति में अफरा-तफरी के दौरान भगदड़ और घातक चोटों की संभावना और भी बढ़ जाती है।
फायर सेफ्टी: महज एक दिखावटी सिलेंडर?
हमें पूरे विशाल मेगा मार्ट में केवल एक खुला गैस सिलेंडर नजर आया। यह मान लेना कि वहीं एकमात्र सिलेंडर है, जल्दबाजी होगी, लेकिन यदि यही सत्य है, तो ये अत्यंत खतरनाक लापरवाही का उदाहरण है। वहां किसी भी प्रकार का फायर एक्सटिंग्विशर या अन्य अग्नि सुरक्षा उपकरण खुलेआम नजर नहीं आया।
क्या फायर सेफ्टी NOC वाकई में जारी की गई है? यदि हां, तो फिर किस आधार पर? क्या यह भी एक भ्रष्ट गठजोड़ का हिस्सा है?
एंट्री और एग्जिट: फंदे में फंसी जिंदगी
मेगा मार्ट की मुख्य एंट्री केवल 4 फीट की है, और यही गेट अंदर और बाहर दोनों दिशाओं के लिए उपयोग में लाया जाता है। दूसरा गेट, जिससे लोग बिलिंग के बाद बाहर निकलते हैं, प्रायः बंद (ताले में जकड़ा) रहता है। ऐसी स्थिति में यदि कभी शॉर्ट सर्किट या आगजनी की घटना होती है, तो लोगों को बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं मिलेगा।
ऐसे में यह सवाल उठता है:
क्या विशाल मेगा मार्ट एक बहुमंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है या एक सुनियोजित मानव फंदा?
गर्मी का मौसम: खतरे की घड़ी
गर्मियों में शॉर्ट सर्किट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ओवरहीट होने की घटनाएं आम हैं। ऐसे समय में जब हजारों ग्राहक मॉल में शॉपिंग करते हैं, और आग लगने जैसी स्थिति बनती है, तब वहां मौजूद ग्राहकों को कौन बचाएगा?
प्रश्न यह है—क्या जिला प्रशासन को इस खतरे की कोई भनक नहीं है या जानबूझकर अनदेखी की जा रही है?
जिला प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी
राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) और अग्नि सुरक्षा नियमों के अनुसार:
- प्रत्येक व्यावसायिक भवन में कम से कम दो स्वतंत्र निकासी मार्ग अनिवार्य हैं।
- हर फ्लोर पर अग्निशमन उपकरण (फायर एक्सटिंग्विशर, वाटर होज़, स्मोक डिटेक्टर) आवश्यक हैं।
- आपात स्थिति में प्रकाश व्यवस्था और दिशा सूचक चिन्ह होना जरूरी है।
- किसी भी सीढ़ी, कॉरिडोर या निकासी मार्ग में सामग्री रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
इसलिए सवाल उठता है—क्या प्रशासन ने कभी इस मॉल की निगरानी की है? क्या फायर विभाग ने निरीक्षण किया या सिर्फ फाइलों में NOC दे दी?
मिलीभगत की बू
अक्सर देखने में आता है कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों से जुड़े अधिकारियों और स्थानीय निकायों की आपसी सांठगांठ से फर्जी या खानापूर्ति करके NOC थमा दी जाती है। और फिर यही लापरवाहियां भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बनती हैं।
अगर कभी यहां हादसा हुआ, तो जिम्मेदार कौन होगा?
फायर विभाग?
नगर निगम?
मॉल का मालिक?
या वे सब जो चुप्पी साधे हुए हैं?
जन-जागरूकता और जनहित: हमारा दायित्व
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स जनहित में यह सवाल उठाता है कि:
क्या हम तब जागेंगे जब कोई त्रासदी घट चुकी होगी?
क्या मानव जीवन से बड़ा कोई मुनाफा है?
क्या हमारी सरकार और विभागीय संस्थाएं सिर्फ हादसे के बाद ही सक्रिय होती हैं?
अब समय आ गया है कि रुद्रपुर प्रशासन, नगर निगम, अग्निशमन विभाग, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और संबंधित एजेंसियां संयुक्त रूप से विशाल मेगा मार्ट जैसे प्रतिष्ठानों की उच्च स्तरीय जांच कराएं और यदि कहीं लापरवाही मिलती है तो कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
एक चेतावनी, एक जनहिंसा की आशंका
आज रुद्रपुर के विशाल मेगा मार्ट में जो स्थिति देखी गई, वह स्पष्ट रूप से एक जनहानि की भविष्यवाणी है। यह एक “साइलेंट किलर” है जो दिखावे की चकाचौंध में असलियत को ढक रहा है।
यह लेख जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री कार्यालय, अग्निशमन विभाग, नगर निगम, तथा आम नागरिकों के लिए चेतावनी है। कृपया जागें, जांच करें, और सुधार करें—अन्यथा यह शहर एक और मंजर देखेगा, जिसकी जिम्मेदारी फिर कोई नहीं लेगा।
