प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया और बीजेपी इस टारगेट को पूरा करने में लग गई है। एक तरफ जहां BJP अपने NDA गठबंधन को विस्तार करने के प्रयास कर रही है और इसके लिए वह हर एक संभव तकनीक अपना रही है। खास बात यह है कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी की निगाह कांग्रेस के सबसे ज्यादा सीटें जीतने के रिकॉर्ड पर है। बीजेपी इस मार्क को पार करके भारतीय लोकतात्रिक इतिहास की सबसे बड़ी जीत हासिल करने के प्रयास में है। मोदी सरकार और बीजेपी दोनों के ही कदम इसके संकेत दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 370 सीटों और एनडीए के लिए 400 से अधिक सीटों का लक्ष्य पूरा करने के लिए पूरा प्लान तैयार कर रखा है। साथ ही उन्होंने मंत्रियों के विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे अगली सरकार के 100 दिन का रोडमैप तैयार करें। बीजेपी के पास फिलहाल 303 सीटें हैं और उसे अपने निजी टारगेट को पूरा करने के लिए 67 सीटों की आवश्यता है। इसके चलते पहले ही बीजेपी 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई सीटों के लिए ज्यादा जोर लगाने का प्लान तैयार किया था।
इसके अलावा बीजेपी अपने एनडीए गठबंधन में छोटे-बड़े दलों को जोड़ रही है। पार्टी नेताओं ने कहा कि आंध्र प्रदेश में टीडीपी-जनसेना पार्टी और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल के साथ सीट शेयरिंग लगभग तय हो चुकी है। आंध्र में टीडीपी से गठबंधन के जरिए पार्टी दक्षिण भारत में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में है। किसान आंदोलन के चलते पहले अकाली दल बीजेपी से अलग हो गया था लेकिन अब अकाली दल के साथ लोकसभा चुनाव से पहले बैक-चैनल बातचीत चल रही है।
इंदिरा गांधी से जुड़े रिकॉर्ड पर बीजेपी की नजर
बीजेपी की नजर 1984 के आंकड़े पर है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को सहानुभूति में 46.86 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस के हिस्से में 414 सीटें आईं थीं। यह अब तक की सबसे बड़ी आम चुनाव की जीत का आंकड़ा है। बीजेपी जानती है कि उसे अपनी जीत का मार्जिन अगर बढ़ाना है तो फिर उसे हर राज्य में अपना वोट शेयर बढ़ाने की जरूरत होगी।
भारत रत्न का मास्टरस्ट्रोक
हाल ही में मोदी सरकार ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह , एमएस स्वामीनाथन और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। इसे एक मास्टरस्ट्रोक भी माना गया था जिससे बीजेपी के वोट प्रतिशत में इजाफा हो। हालांकि बीजेपी के विरोधी उस पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि पार्टी अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए हताश हो गई है और इसीलिए वह विपक्ष नेताओं तक को भारत रत्न देने का खेल, खेल चुकी है।
कहां है बढ़त की गुंजाइश?
पीएम मोदी ने बड़ी जीत का आंकड़ा दिया है लेकिन बीजेपी के ही कई वरिष्ठ नेता यह स्वीकार कर रहे हैं कि यह टारगेट बेहद मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि पार्टी पहले ही हिंदी बेल्ट और अन्य पारंपरिक गढ़ों में अपनी बढ़त हासिल कर चुकी है। साल 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी को राजस्थान, हरियाणा, गुजरात में सभी सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलाा मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा सीट को छोड़कर बीजेपी ने पूरा राज्य कब्जा लिया था। वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 80 में से 62 सीटें जीती थीं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी यहां राम मंदिर की लहर में अपना 2014 के लोकसभा चुनाव का 71 सीटों का टारगेट भी पार कर सकती है।
कर्नाटक से भी बीजेपी ने 29 में से 28 सीटें जीतीं थीं। 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद बीजेपी को उम्मीद है कि वह बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। बीजेपी ने इसके लिए अबकी बार जेडीएस के साथ गठबंधन भी किया है। इसके अलावा बीजेपी का दावा है कि इस बार उसे ओडिशा और तेलंगाना में ज्यादा समर्थन मिल सकता है। हालांकि उनकी पुरानी कोशिशें ज्यादा सफल नहीं रही हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि जिस पश्चिम बंगाल में उसने 2019 में 42 में से 18 सीटें जीती थीं, उसी बंगाल में इस बार उसका ग्राफ बढ़ सकता है।
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बीजेपी ने कार्यकर्ताओं को दिया है स्पष्ट संदेश
बीजेपी ने राष्ट्रीय सम्मेलन में नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि राज्य, जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर पर बैठकें करें और ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने के प्रयास करें। खबरें ये भी है कि बीजेपी अपने हिंदुत्व एजेंडों को धार देने की कोशिश कर सकती है, जिससे उसे हिंदी बेल्ट पर ज्यादा फायदा हो सके, जबकि अन्य राज्यों के लिए उसकी निर्भरता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पॉपुलैरिटी पर है।