


नहीं बन पाया शहीदों के सपनों के अनुरूप उत्तराखंड, अवतार सिंह बिष्ट अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद,मसूरी, श्रद्धा सुमन 2 सितम्बर मसूरी गोली हत्या कांड
दो सितंबर की सुबह मौन जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया। फायरिंग के कारण शांत रहने वाली पहाड़ों की रानी मसूरी के वातावरण में बारूदी गंध फैल गई।
आज भी उस हृदयविदारक घटना को याद करने वालों की रूह कांप जाती है।
पृथक राज्य की मांग पर चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के इरादे से तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस और पीएसी का सहारा लिया। माल रोड स्थित झूलाघर में क्रमिक अनशन पर बैठे पांच आंदोलनकारियों को एक सितंबर 1994 की रात पुलिस ने उठा लिया था। दो सितंबर की सुबह राज्य आंदोलनकारी खटीमा गोलीकांड और अनशनकारियों को उठाने के विरोध में मौन जुलूस निकाल रहे थे। झूलाघर पहुंचते ही पुुलिस और पीएसी ने निहत्थे और निरीह आंदोलनकारियों पर ताबड़तोड़ गोलियां दागीं।फायरिंग में सिर पर गोली लगने से दो महिलाएं हंसा धनाई और बेलमती चौहान वहीं ढेर हो गईं। चार अन्य आंदोलनकारी और पुलिस के सीओ उमाकांत त्रिपाठी भी पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए। इनमें राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, मदनमोहन ममगाईं और युवा बलवीर नेगी शामिल थे।पुलिस की गोली से घायल पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी ने सेंट मेरी अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस और पीएसी का कहर यहीं नहीं थमा। इसके बाद कर्फ्यू के दौरान आंदोलनकारियों का उत्पीड़न किया गया। दो सितंबर से करीब एक पखवाड़े तक चले कर्फ्यू के दौरान लोगों को जरूरी सामानों को तरसना पड़ा।
मसूरी गोली कांड में शहीद हुए सभी उत्तराखंडी क्रांतिकारीयों को शत शत नमन।
निवेदक उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद


