

हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की 14 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा के पास मात्र छह विधानसभा क्षेत्र हैं। जबकि अन्य आठ में कांग्रेस के पास पांच, दो बसपा और एक निर्दलीय विधायक जीतकर पहुंचे। भाजपा ने हरिद्वार में भी बदलाव किया है। दो बार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की जगह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र सिंह रावत को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी रण में उतारा है। वर्ष 2009 के चुनाव में हरीश रावत चुनाव जीत चुके हैं और यहां कांग्रेस को सियासी समीकरण का लाभ मिल सकता है। परिसीमन के बाद इस लोकसभा क्षेत्र का भी राजनीतिक मिजाज बदला है। यहां आने वाले ऋषिकेश, धर्मपुर और डोईवाला विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी मतदाता निर्णायक माना जाता है, जहां भाजपा खुद को सहज मानती है। जबकि हरिद्वार की मैदानी सीटों पर अल्पसंख्यक और दलित मतदाता बड़ा फैक्टर बनता है। इस वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा कांग्रेस के अलावा सपा, बसपा, और निर्दलीय भी जोर एकआजमाइश करते हैं। अल्मोड़ा -पिथौरागढ़ लोकसभा सीट राज्य की सुरक्षित लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा कांग्रेस ने टम्टा बिरादरी से चिर प्रतिद्वंद्वी उतारे हैं। भाजपा के अजय टम्टा तीसरी बार से मैदान में हैं, जबकि राज्यसभा सांसद रहे प्रदीप टम्टा पर कांग्रेस ने पुनः भरोसा जताया है। बड़े क्षेत्रफल वाली इस सीट पर भाजपा दोनों चुनाव जीती है, लेकिन पांचों में जीत का अंतर सबसे कम रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के नौ विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पांच विधायक जीतकर आए हैं। नैनीताल- ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट मैदानी और पहाड़ी इलाके का प्रतिनिधित्व करती है। दो बड़े जिले नैनीताल और ऊधमसिंह नगर इस लोकसभा के तहत आते हैं। भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस अभी तक इस सीट पर भी उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। इस सीट के लिए कांग्रेस युवा उम्मीदवार प्रकाश जोशी पर दांव खेल चुकी है। प्रकाश जोशी दो बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके है हांलाकि वह चुना नहीं जीत पाये हैं लेकिन जनता के मुद्दों पर अपनी सक्रियता से पार्टी में अपनी पैठ जमायी हुई है। नैनीताल सीट कभी कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन भाजपा ने जब से जीत दर्ज कराई है तब से कांग्रेस के दिग्गज भी वापसी नहीं करा सके हैं। लोकसभा क्षेत्र की 14 सीटों में यहां भी नौ भाजपा के पास और पांच कांग्रेस के पास हैं।


