
दरअसल, कैग की रिपोर्ट कुछ दिन पूर्व विधानसभा के पटल पर रखी गई थी। इस रिपोर्ट में उत्तराखंड नर्सिंग काउंसिल के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।


रिपोर्ट में कहा गया है कि 2006 से 2015 के बीच काउंसिल में कुल 8685 नर्सिंग अधिकारियों ने अपना पंजीकरण कराया। जिसमें से 6910 नर्सिंग अधिकारियों ने 2015 से 2021 के बीच अपना पंजीकरण रिन्यू कराया। जबकि 1775 नर्सिंग अधिकारी कहां गए काउंसिल को इसकी जानकारी नहीं थी।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन नर्सों की ओर से पंजीकरण रिन्यू नहीं कराया उनमें से कितनों की मृत्यु हुई, कितनों ने प्रैक्टिस छोड़ दी या फिर वह बिना पंजीकरण के ही काम कर रही हैं इसकी काउंसिल को जानकारी नहीं थी। कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड नर्सिंग काउंसिल को निष्क्रिय बताते हुए उसके कामकाज पर सवाल खड़े किए गए हैं। इसके साथ ही काउंसिल में कर्मचारियों की कमी का भी जिक्र किया गया है।
काउंसिल ने पत्राचार भी नहीं किया
काउंसिल के नियमों के तहत पंजीकरण नवीनीकरण का नियम है। लेकिन जिन नर्सिंग अधिकारियों ने अपना पंजीकरण नहीं कराया उन्हें काउंसिल की ओर से कभी पत्र भी नहीं भेजा गया।
रिन्यू न कराने पर नहीं लगा प्रतिबंध
जिन नर्सिंग अधिकारियों ने अपना पंजीकरण रिन्यू नहीं कराया वह एक तरह से अपंजीकृत हो गए थे। लेकिन काउंसिल ने उन पर कोई प्रतिबंध भी नहीं लगाया। इस पर कैग ने गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी आपत्ति जताई गई है कि ऐसी नर्सों का भी कोई डेटा नहीं रखा गया था जिन्होंने अपना पंजीकरण रिन्यू नहीं कराया था।
