संघर्ष, अनुशासन और संकल्प की मिसाल बनी चमोली की अंकिता कांति, UPSC में पाई 137वीं रैंक

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पिंडरघाटी,उत्तराखंड की बेटियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और संकल्प अडिग, तो कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती। चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक के छोटे से गांव चिरखून की मूल निवासी और वर्तमान में देहरादून के हरभजवाला क्षेत्र में रहने वाली अंकिता कांति ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में ऑल इंडिया 137वीं रैंक प्राप्त कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे उत्तराखंड को गौरवान्वित किया है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण सफलता

अंकिता का सफर संघर्षों और अनुशासन से भरा रहा है। उनके पिता देवेश्वर कांति एक कैश ट्रांसपोर्ट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में कार्यरत हैं, जबकि उनकी माता ऊषा कांति एक गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद अंकिता ने कभी हार नहीं मानी। ठिठुरती सर्दियों में किलोमीटरों दूर ट्यूशन जाना हो या पढ़ाई के लिए घंटों की मेहनत—अंकिता हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहीं।

शिक्षिका बनने का सपना बना देश सेवा का संकल्प

हाई स्कूल की पढ़ाई उन्होंने दून मॉडर्न स्कूल, तुंतोवाला से की और उत्तराखंड बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा में 92.4% अंक प्राप्त कर प्रदेश में 22वां स्थान हासिल किया। उस वक्त अंकिता का सपना था एक शिक्षिका बनकर पहाड़ी व दूरस्थ अंचलों में बच्चों को पढ़ाना। लेकिन धीरे-धीरे उनका दृष्टिकोण व्यापक होता गया।

शिक्षा में निरंतर उत्कृष्टता

2018 में उन्होंने संजय पब्लिक स्कूल, करबारी से इंटरमीडिएट में 96.4% अंक प्राप्त कर देहरादून टॉप किया और प्रदेश में चौथे स्थान पर रहीं। इसके बाद डीबीएस कॉलेज से बीएससी तथा डीएवी कॉलेज से एमएससी (भौतिक विज्ञान) की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की।

UPSC का सपना: ग्यारहवीं कक्षा से ही संकल्प

अंकिता बताती हैं कि उन्होंने कक्षा 11वीं से ही UPSC में चयन का सपना देख लिया था। उन्होंने सोशल मीडिया, इंटरनेट और सेल्फ-स्टडी के माध्यम से अपने लक्ष्य को साधा। अंकिता मानती हैं कि अनुशासन, नियमितता और मानसिक संतुलन ही इस परीक्षा में सफलता की कुंजी है।

सफलता से उत्साहित परिवार और समाज

अंकिता की इस उपलब्धि पर क्षेत्र में जश्न का माहौल है। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनकी बहन अंजलि कांति पहले ही एक बैंक में चयनित हो चुकी हैं, जबकि सबसे छोटी बहन अनुष्का भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटी हैं।

अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा

अंकिता की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है जो सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश में रहते हुए भी बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर लगन हो तो पहाड़ जैसी चुनौतियां भी पिघल सकती हैं।

अंकिता कांति, उत्तराखंड की नई उम्मीद हैं—संघर्ष, अनुशासन और शिक्षा की शक्ति की जीवंत मिसाल।



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