संपादकीय रुद्रपुर में अतिक्रमण पर बुलडोजर की गूंज – नियम, राजनीति और प्रशासन की त्रयी भूमिका”

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रुद्रपुर, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड – एक तेजी से बढ़ता शहरी केंद्र, जहां अव्यवस्थित विकास और अतिक्रमण वर्षों से एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं। अब जबकि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ अभियान को गंभीरता से लिया है, रुद्रपुर में फैजलपुर मेहरौली से शुरू हुई बुलडोजर कार्रवाई भविष्य की एक बड़ी कार्ययोजना का संकेत देती है। इस लेख में हम अतिक्रमण हटाओ मुहिम की पृष्ठभूमि, सरकारी दिशा-निर्देश, संभावित कार्रवाई क्षेत्रों और इसमें विधायिका व महापौर की जिम्मेदारियों का विश्लेषण करेंगे।


सरकारी आदेश और गाइडलाइन: अतिक्रमण के विरुद्ध स्पष्ट नीति

उत्तराखंड शासन ने 2023-24 में स्पष्ट रूप से सभी जिलाधिकारियों को आदेशित किया था कि:

  • सरकारी, नजूल, वन, सिंचाई, ग्राम समाज एवं पंचायत भूमि पर अतिक्रमण चिन्हित कर उसे प्राथमिकता पर हटाया जाए।
  • सभी जिलों में “जनपदीय अतिक्रमण उन्मूलन समिति” गठित की गई है, जिसके अध्यक्ष स्वयं जिलाधिकारी होते हैं।
  • अतिक्रमण हटाने से पहले नोटिस, सर्वे, वीडियोग्राफी, और स्थानीय जनसुनवाई सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है ताकि कानूनी विवाद कम हो।
  • नगर निकाय क्षेत्रों में ‘री-डेवलपमेंट प्लान’ के तहत फुटपाथ, नालियां, और सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर दोबारा अतिक्रमण न हो इसके लिए सीसीटीवी सर्विलांस व निरंतर निरीक्षण की व्यवस्था हो।

📍 रुद्रपुर में कहां-कहां हो सकती है आगामी कार्रवाई?

फैजलपुर मेहरौली की कार्रवाई एक संकेत है कि अगली लहर में ये क्षेत्र निशाने पर हो सकते हैं:

  1. नगरीय सीमा के अंदर की नजूल भूमि पर बनी अवैध दुकानों/भवनों पर

बिजली विभाग की गाइडलाइन: अतिक्रमण पर नहीं मिलेगा कनेक्शन

वर्ष 2025 की शुरुआत में ही ऊर्जा निगम (UPCL)जिला प्रशासन ने संयुक्त आदेश जारी कर कहा कि:

  • नजूल, दान पात्र, सरकारी भूमि पर स्थापित अवैध निर्माण को बिजली कनेक्शन नहीं दिया जाएगा।
  • जिन लोगों के पास भूमि का वैध दस्तावेज, भवन नक्शा अनुमोदन, और नगर निगम से कर अदायगी का प्रमाण नहीं है, उन्हें कनेक्शन से वंचित किया जाएगा।
  • विद्युत विभाग अब जांच समिति के माध्यम से स्थलीय सत्यापन कर रहा है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही नया मीटर स्वीकृत हो रहा है।

यह कदम अवैध निर्माणों को मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा सकती है।


विधायक तिलकराज बेहड़ बनाम विधायक शिव अरोड़ा – दो दृष्टिकोण

जहां कांग्रेस के विधायक तिलकराज बेहड़ ने बीते वर्षों में अतिक्रमण को गरीबों की मजबूरी बता कर कई बार कार्रवाई का विरोध किया था, वहीं वर्तमान भाजपा विधायक श्री शिव अरोड़ा की भूमिका अपेक्षाकृत स्पष्ट और संतुलित है:

  • उन्होंने प्रशासन से वास्तविक गरीब व झुग्गी-झोपड़ी वालों को पुनर्वास देने की अपील की है।
  • लेकिन साथ ही “व्यावसायिक हितों के लिए सरकारी भूमि हथियाने वालों पर सख्ती” की मांग की है।
  • उनके हस्तक्षेप से ही कुछ स्थानों पर मानवता के आधार पर नोटिस की अवधि बढ़ाई गई।

महापौर विकास शर्मा – नगर निगम की भूमिका पर सवाल

रुद्रपुर नगर निगम के महापौर विकास शर्मा के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी है:

  1. अवैध अतिक्रमण चिन्हित करने में नगर निगम की तकनीकी शाखा और राजस्व विभाग का सहयोग देना
  2. और दूसरी ओर नगर निगम क्षेत्र में वोट बैंक और जनदबाव से निपटना

अभी तक महापौर ने प्रशासनिक कार्रवाई का मौन समर्थन किया है लेकिन राजनीतिक रूप से वे किसी पक्ष विशेष में स्पष्ट स्टैंड लेने से बचते दिखे हैं।यह स्थिति प्रशासन और निगम के बीच सामंजस्य की कमी की ओर भी इशारा करती है।


जनता की भूमिका और ज़मीनी सवाल

  • क्या केवल गरीबों पर ही कार्रवाई हो रही है, जबकि रसूखदार बिल्डर और बड़े भू-माफिया बचे हुए हैं?
  • क्या बिजली कनेक्शन के नाम पर वर्षों से रह रहे परिवारों को अचानक अंधकार में धकेलना न्यायसंगत है?
  • क्या पुनर्वास नीति या वैकल्पिक बसावट की कोई तैयारी है?

इन सवालों पर सरकार और प्रशासन को पारदर्शिता के साथ संवाद करना चाहिए। अन्यथा यह अभियान भी राजनीतिक औजार बनकर रह जाएगा।


✍️ बुलडोजर सिर्फ दीवारें नहीं, विश्वास भी गिराते हैं अगर न्याय न हो

रुद्रपुर में अतिक्रमण हटाओ अभियान प्रशासनिक दृष्टि से जरूरी हो सकता है, लेकिन इसमें मानवीय दृष्टिकोण की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए।

विधायक श्री अरोड़ा, महापौर विकास शर्मा और डीएम नितिन भदौरिया की तिकड़ी को संवाद, न्याय, और नीति की कसौटी पर समान रूप से खरा उतरना होगा।बुलडोजर की गूंज तभी सार्थक है जब वो न्याय की नींव पर टिकी हो, न कि केवल राजनीतिक प्रदर्शन बन कर रह जाए।


अवतार सिंह बिष्ट

संपादक – शैल ग्लोबल टाइम्स | संवाददाता – हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स

(रुद्रपुर से विशेष संपादकीय)



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