
बता दें कि ज्येष्ठ मास के मंगलवार के दिन हनुमान जी के वृद्ध रूप की पूजा की जाती है इसलिए इस माह में पड़ने वाले मंगलवार को बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। तो आइए अब हम आपको बताएंगे कि बुढ़वा मंगल से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
ज्येष्ठ मंगलवार को बुढ़वा मंगल क्यों कहा जाता है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में कुंती पुत्र भीम को अपनी शक्ति और ताकत का घमंड हो गया था। ऐसे में भीम को सबक सिखाने के लिए एक बार बजरंगबली ने बूढ़े वानर का रूप अपनाया था। बूढ़े वानर के रूप में हनुमान जी ने भीम को परास्त किया था, जिसके बाद भीम को अपनी शक्ति का घमंड दूर हुआ। कहा जाता है वह दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार का था जब रामभक्त हनुमान ने बूढ़े वानर के रूप को धारण किया था। तब से ही ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाने लगा।
बुढ़वा मंगल का महत्व
बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान जी की आराधना करने से बुद्धि, ज्ञान और बल में वृद्धि होती है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को हर भय से मुक्ति मिलती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। बुढ़वा मंगल के दिन बजरंगबली के साथ ही प्रभु श्री राम की भी पूजा करें तभी आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त होगा।
