“शिवबारात से लेकर सपना चौधरी तक – उधम सिंह नगर में पंचायत चुनाव बना सियासी तमाशा!” ✍️ विशेष रिपोर्ट – अवतार सिंह बिष्ट

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उत्तराखंड रद्रपुर | सावन का महीना, शिवरात्रि का उत्सव और राजनीति का चरम – उधम सिंह नगर के पंचायत चुनाव इस बार सिर्फ वोट नहीं, मनोरंजन, साजिश, तंज और तमाशे का कॉम्बो पैक बन चुके हैं। ज़िले की ज़िला पंचायत से लेकर ग्राम प्रधान स्तर तक के चुनाव मैदान में इस बार कोई भी पीछे नहीं। आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा दौर चला है कि लगने लगा है जैसे चुनाव नहीं बल्कि नेटफ्लिक्स सीरीज़ का लाइव शो चल रहा हो।


राजनीतिक महाभारत: राम बनाम शिव, विकास बनाम ग्लैमर? सर्वमान्य नेतापूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, किच्छा पूर्वविधायक राजेश शुक्ला, पूर्व मंत्री किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़, विधायक शिव अरोड़ा और रुद्रपुर के नवनिर्वाचित मेयर विकास शर्मा – सब एक-दूसरे पर बाण छोड़ने में जुटे हैं। कांग्रेस भाजपा को कोस रही है, भाजपा कांग्रेस को घेर रही है, और निर्दलीय उम्मीदवारी लेकर मैदान में कूदे कुछ ‘गुप्त ब्रह्मास्त्र’ खिलाड़ी दोनों को चित्त करने की फिराक में हैं।

इस बार जिला पंचायत का चुनाव सत्ता के सम्मान और प्रतिष्ठा की परछाई बन गया है। हर एक सीट पर बीजेपी की हार या जीत को धामी सरकार की परफॉर्मेंस से जोड़ा जा रहा है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट,संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!

शिवरात्रि की शिव बारात और वोट का वारात?इतिहास में पहली बार रुद्रपुर में पंचायत चुनाव के दौरान सावन की शिवरात्रि पर शिव बारात निकाली गई। अब सवाल ये है –

“क्या भोले के भक्त सच में वोटिंग में भी भक्ति दिखाएंगे या ये सिर्फ धार्मिक इवेंट बनकर रह जाएगा?”

राजनीति अब मंदिरों तक पहुंच चुकी है। राम का नाम, शिव की बारात, हनुमान की पूजा – हर कोई भक्ति और सत्ता के मेल से मतदाताओं को रिझा रहा है।


मीडिया बनाम निष्पक्षता – पत्रकार या प्रचारक?स्थानीय मीडिया हाउस इस बार जमकर पक्षधर हो चुके हैं। जिसे विज्ञापन मिला, उसका गुणगान शुरू। एक पत्रकार महोदय ने तो निर्दलीय उम्मीदवार के लिए “भविष्य का विधायक” तक लिख डाला। प्रेस वार्ताओं की बाढ़ आई हुई है – हर नेता रोज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है, और पत्रकार पकोड़ी की तरह सुर्खियां तल रहे हैं।


गंगवार बंधु का सपना – सपना चौधरी!गंगवार परिवार, जो सालों से जिला पंचायत पर काबिज रहा है, इस बार अपने विकास कार्यों से नहीं बल्कि सपना चौधरी जैसे ग्लैमर शो से जनता को लुभाने की कोशिश में है। ‘हरियाणवी ठुमकों’ से लेकर DJ नाइट तक – कुछ क्षेत्र तो ऐसे लग रहे हैं जैसे वोट नहीं, मैला लगन या शादी समारोह हो।


“पोलिंग बूथ पर चुप्पी, सोशल मीडिया पर चटर्जी!”जहां एक ओर प्रत्याशी अपने डमी पोलिंग बूथ बना-बना कर 90% वोट मिलने का दावा कर रहे हैं, वहीं असली पोलिंग बूथ पर हालात उलट हैं – चुप्पी छाई है, लोग खामोश हैं।

राजनीति में जितना हल्ला कैमरे के सामने है, उतनी ही रहस्यमयी खामोशी बैलेट बॉक्स के पास है। “हम जीतेंगे… क्यों? क्योंकि हमने कहा!”हर उम्मीदवार के पास जीत का फार्मूला एक जैसा है –हमने विकास कार्य किए हमें जातीय समीकरण का लाभ मिलेगा जनता हमारे साथ है,और सबसे जरूरी: विपक्ष भ्रष्ट है,इस दावे की जांच चुनाव परिणाम ही करेंगे, लेकिन तब तक लोग इस सियासी सर्कस का पूरा मजा ले रहे हैं।

ग्रामीण राजनीति: जहां नाली, राशन कार्ड और शराब चुनाव तय करते हैं

गांवों में जिला पंचायत, ग्राम प्रधान, और बीडीसी चुनाव बड़ी पार्टियों की शह पर लड़े जा रहे हैं, लेकिन मुद्दे अब भी वही हैं –किसके कार्यकाल में बनी ज्यादा नालियां किसका राशन कार्ड में नाम जुड़ा और किसने चुनाव पूर्व रात में बोतल साड़ी सूट पहुंचाई


जनता बोले – “जो जीतेगा वो भी बेकार निकलेगा, पर फिर भी वोट डालेंगे!”लोगों को भरोसा नहीं कि कोई बड़ा परिवर्तन होगा। फिर भी हर बार की तरह इस बार भी लाइन में लगकर वोट डालेंगे – शायद ये सोचकर कि “क्या पता इस बार कोई अच्छा निकल आए।”

पूरे उत्तराखंड से लेकर उधम सिंह नगर पंचायत चुनाव में अधिकांश राजनीतिक प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिए। भाजपा समर्थित प्रत्याशियों द्वारा सरकारी योजनाओं में लाभ दिलाने, आवास योजना में नाम जोड़वाने, और भविष्य में नौकरी लगवाने के वादे किए गए। कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने बिजली-पानी कनेक्शन मुफ्त, बकाया बिल माफी, और स्थानीय ठेकेदारी में हिस्सेदारी देने का लालच दिया।निर्दलीय प्रत्याशियों ने घर-घर राशन किट, शराब की बोतलें, 200-500 रुपये नकद, और DJ नाइट जैसी मनोरंजन सुविधाएं देकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की। कई क्षेत्रों में फ्री टिफिन सेवा, दवा और इलाज का खर्चा उठाने का वादा भी दिया गया। कुछ प्रत्याशियों ने सपना चौधरी जैसे ग्लैमर इवेंट्स आयोजित कर युवाओं को आकर्षित किया।सावन शिवरात्रि के मौके पर धार्मिक आयोजन कर भोले भक्तों को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया गया। गांवों में तो शराब, बिरयानी, और नकद वितरण आम चर्चा का विषय रहा। ऐसे में यह चुनाव लोकतंत्र का उत्सव कम, प्रलोभनों का व्यापार अधिक बन गया है।

संपूर्ण उत्तराखंड से लेकर उधम सिंह नगर का पंचायत चुनाव इस बार

उधम सिंह नगर पंचायत चुनाव में अधिकांश राजनीतिक प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिए। भाजपा समर्थित प्रत्याशियों द्वारा सरकारी योजनाओं में लाभ दिलाने, आवास योजना में नाम जोड़वाने, और भविष्य में नौकरी लगवाने के वादे किए गए। कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने बिजली-पानी कनेक्शन मुफ्त, बकाया बिल माफी, और स्थानीय ठेकेदारी में हिस्सेदारी देने का लालच दिया।

निर्दलीय प्रत्याशियों ने घर-घर राशन किट, शराब की बोतलें, 200-500 रुपये नकद, और DJ नाइट जैसी मनोरंजन सुविधाएं देकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की। कई क्षेत्रों में फ्री टिफिन सेवा, दवा और इलाज का खर्चा उठाने का वादा भी दिया गया। कुछ प्रत्याशियों ने सपना चौधरी जैसे ग्लैमर इवेंट्स आयोजित कर युवाओं को आकर्षित किया।

सावन शिवरात्रि के मौके पर धार्मिक आयोजन कर भोले भक्तों को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया गया। गांवों में तो शराब, बिरयानी, और नकद वितरण आम चर्चा का विषय रहा। ऐसे में यह चुनाव लोकतंत्र का उत्सव कम, प्रलोभनों का व्यापार अधिक बन गया है।

सीरियस लोकतंत्र कम, हाइपर ड्रामा ज्यादा बन चुका है।जहां राम और शिव का नाम लेकdर वोट मांगे जा रहे हैं, वहीं सपना चौधरी और प्रेस वार्ताओं के शोर में असली मुद्दे कहीं खो गए हैं।अब देखना यह है कि 5 साल तक जनता सपनों की ठुमकियों पर झूमेंगी या विकास की धरातल पर सच्चाई देखेगी?बैलेट बॉक्स बोलेगा – और तब तमाशा खत्म होगा। लेकिन तब तक popcorn ready रखिए, शो तो जारी है।”



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