अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के लिए रूस ने वो कदम उठाया है जो अब तक दुनिया का कोई देश नहीं उठा सका था. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के करीब चार साल बाद रूस पहला देश बन गया है जिसने तालिबान की सरकार को आधिकारिक मान्यता दे दी है.

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गुरुवार 3 जुलाई को रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और रूस की ओर से औपचारिक मान्यता दिए जाने की बात कही.

सरकार को औपचारिक मान्यता..
असल में रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया कि हम मानते हैं कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की सरकार को औपचारिक मान्यता देना दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा. रूस का यह फैसला तब आया है जब तालिबान सरकार पर लगातार मानवाधिकारों के उल्लंघन और अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियों को लेकर सवाल उठते रहे हैं.

‘पॉलिटिकल प्रोग्राम ओवरसाइट कमिटी’
ठीक इसी समय हाल ही में तालिबान ने मीडिया पर सख्त नियंत्रण के नए नियम लागू किए हैं. नए दिशानिर्देशों के अनुसार अफगान मीडिया को अब राजनीतिक विषयों से जुड़ी रिपोर्टिंग करने से पहले ‘पॉलिटिकल प्रोग्राम ओवरसाइट कमिटी’ की अनुमति लेनी होगी. रिपोर्ट्स में अधिकारियों पर की जाने वाली टिप्पणियां अब ‘कानूनी दायरे में, सम्मानजनक और बिना किसी आरोप या तोड़ मरोड़’ के होनी चाहिए.

2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में महिला शिक्षा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर लगातार हमले होते रहे हैं. ऐसे माहौल में रूस की ओर से मान्यता मिलना एक अहम घटनाक्रम है. यह कदम भविष्य में अन्य देशों के रुख को भी प्रभावित कर सकता है. इतना ही नहीं अभी तक पाकिस्तान भी ऐसा नहीं कर पाया जबकि तालिबान ने जब सत्ता अपने हाथ में ली थी तो सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान ही हुआ था.


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