
उनके सम्मान में पूरे भारत में तीन दिवसीय राजकीय शोक रखा जाएगा।’ बयान में कहा गया कि इसके अनुसार, 22 अप्रैल और 23 अप्रैल को दो दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा, अंतिम संस्कार के दिन एक दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसमें कहा गया कि राजकीय शोक की अवधि के दौरान पूरे भारत में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। शोक की अवधि के दौरान मनोरंजन का कोई आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।


शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
पोप के चयन की प्रक्रिया बहुत पवित्र और गोपनीय होती है। यह कोई लोकप्रियता की प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह चर्च की ओर से ईश्वरीय प्रेरणा से किया गया चुनाव होता है। फिर भी, हमेशा अग्रणी उम्मीदवार होते हैं, जिन्हें पापाबिले के नाम से जाना जाता है। इनमें कुछ ऐसे गुण होते हैं जो पोप बनने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। बहुत कुछ वैसे ही जैसे पिछले वर्ष की ऑस्कर-नामांकित फिल्म कॉन्क्लेव में दर्शाए गए थे। बपतिस्मा प्रक्रिया से गुजरा कोई भी कैथोलिक पुरुष पोप बनने के लिए पात्र होता है। पोप उस व्यक्ति को चुना जाता है जिसे कार्डिनल के कम से कम दो-तिहाई वोट प्राप्त होते हैं।
कुछ संभावित उम्मीदवारों के बारे में जानिए-
कार्डिनल पीटर एर्दो
बुडापेस्ट के आर्कबिशप और हंगरी के प्राइमेट 72 वर्षीय एर्दो को 2005 और 2011 में दो बार काउंसिल ऑफ यूरोपीयन एपिस्कोपल कॉन्फ्रेंस का प्रमुख चुना गया था। इससे पता चलता है कि उन्हें यूरोपीय कार्डिनल की मान्यता प्राप्त है, जिनसे मतदाताओं का सबसे बड़ा समूह बनता है। उक्त पद पर रहते हुए एर्दो का कई अफ्रीकी कार्डिनल से परिचय हुआ क्योंकि काउंसिल अफ्रीकी बिशप कान्फ्रेंस के साथ नियमित सत्र आयोजित करती है।
कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स
मार्क्स म्यूनिख और फ्रीजिग के आर्कबिशप हैं। उन्हें फ्रांसिस ने 2013 में एक प्रमुख सलाहकार चुना था। बाद में मार्क्स को सुधारों के दौरान वेटिकन के वित्त की देखरेख करने वाली परिषद का प्रमुख नियुक्त किया गया।
कार्डिनल मार्क ओउलेट
कनाडा के 80 वर्षीय ओउलेट ने एक दशक से अधिक समय तक वेटिकन के प्रभावशाली बिशप कार्यालय का नेतृत्व किया। ओउलेट को फ्रांसिस की तुलना में अधिक रूढ़िवादी माना जाता है। लातिन अमेरिकी चर्च के साथ उनके अच्छे संपर्क हैं। उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक लातिन अमेरिका के लिए वेटिकन के पोंटिफिकल कमीशन का नेतृत्व किया है।
कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन
इटली के 70 वर्षीय पारोलिन को कैथोलिक पदानुक्रम में उनकी प्रमुखता को देखते हुए पोप बनने के प्रमुख दावेदारों में से एक माना जाता है। पारोलिन लातिन अमेरिकी चर्च को अच्छी तरह से जानते हैं। पारोलिन ने वेटिकन की नौकरशाही का प्रबंधन किया है, लेकिन उनके पास कोई वास्तविक पादरी अनुभव नहीं है।
कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट
अमेरिकी पोप का विचार लंबे समय से वर्जित रहा है, क्योंकि भू-राजनीतिक शक्ति पहले से ही अमेरिका के पास है। हालांकि शिकागो में जन्मे 69 वर्षीय प्रीवोस्ट ऐसे पहले पोप हो सकते हैं। उनके पास पेरू का व्यापक अनुभव है, पहले एक मिशनरी के रूप में और बाद में एक आर्कबिशप के रूप में। फ्रांसिस की उन पर वर्षों से नजर थी और उन्होंने 2014 में उन्हें पेरू के चिकलायो डायोसिस का कार्यभार संभालने के लिए भेजा था। वह 2023 तक उस पद पर रहे, फिर फ्रांसिस ने उन्हें रोम बुला लिया।
कार्डिनल रॉबर्ट सारा
गिनी के 79 वर्षीय सारा वेटिकन के लिटर्जी कार्यालय के सेवानिवृत्त प्रमुख हैं। उन्हें लंबे समय से एक अफ्रीकी पोप के लिए सबसे अच्छी उम्मीद माना जाता था। वह रूढ़िवादियों के प्रिय हैं।
कार्डिनल लुइस टैगले
फिलीपीन के 67 वर्षीय टैगले पहले एशियाई पोप हो सकते हैं। फ्रांसिस मनीला के लोकप्रिय आर्कबिशप को वेटिकन के ईसाई धर्म प्रचार कार्यालय का नेतृत्व करने के लिए रोम लाए थे, जो एशिया और अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में कैथोलिक चर्च की जरूरतों का ध्यान रखता है।
कार्डिनल माटेओ जुप्पी
जुप्पी बोलोग्ना के आर्कबिशप और इतालवी बिशप कान्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं। उन्हें 2022 में चुना गया था।
