
न हिजबुल्लाह, न हूती, न हमास. इनमें से कोई नहीं है आज, ईरान के साथ! ईरान ने चार दशकों से जिनको पाला-पोसा और बड़ा किया, मुश्किल वक्त में वे छोड़ कर चले गए. ईरान आज बिलकुल अकेला है. ये सारे नाम कोई मामूली पहचान नहीं रखते हैं, ये इजरायल और अमेरिका के खिलाफ बड़े-बड़े हमलों को अंजाम देते रहे हैं. ये दुनिया के सबसे खौफनाक आतंकी संगठन माने जाते हैं. इनके सहयोग से ईरान मध्य एशिया में एक बड़ी क्षेत्रीय ताकत बन कर उभरा था. आज वो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. और इस लड़ाई में इन आतंकी संगठनों में से कोई भी ईरान के साथ नहीं खड़ा है. सब भाग खड़े हुए हैं।आखिर इसकी वजह क्या है? आज हम इसका DNA टेस्ट करेंगे.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
इजरायल भारत के मिजोरम इतना एक छोटा सा देश है, जिसकी आबादी 1 करोड़ भी नहीं है. मुस्लिम देशों से घिरा ये अकेला यहूदी राष्ट्र है. और चारों ओर से दुश्मनों से घिरा है. इसके उत्तर और उत्तर पूर्व में लेबनान और सीरिया है तो दूसरी तरफ फिलीस्तीन. मैप में माचिस की डिबिया सा दिखने वाला इजरायल यमन और इराक से भी हमले झेलता रहा है.
ईरान का सबसे बड़ा प्रॉक्सी
लेबनान में सैन्य और राजनीतिक रसूख रखने वाला कट्टरपंथी शिया पैरामिलिट्री ग्रुप ‘हिजबुल्लाह’ ईरान का सबसे बड़ा प्रॉक्सी माना जाता है. गाजा में फिलीस्तीनी संगठन ‘हमास’ लंबे समय से इजरायल से लड़ रहा है. इराक में भी इसी तरह ‘शिया मिलिशिया ग्रुप’ हैं. यमन में ‘हूती’ संगठन सक्रिय है.
इन सबको शिया मुस्लिम आबादी वाले मुल्क ईरान ने पैदा और बड़ा किया है. इन संगठनों ने ईरान के समर्थन में इजरायल और अमेरिका को कई बार टक्कर दी. लेकिन जब ईरान और इजरायल में सीधी टक्कर शुरू हुई तो ये रफूचक्कर हो गए. आखिर क्यों? ऐसा क्या हुआ कि बेटे बाप के बुढ़ापे में सहारा बनने की बजाए किनारा कर रहे हैं? इसकी कई वजहें हैं.
हसन नसरल्लाह समेत हिजबुल्लाह के कई लीडरों की मौत
हिजबुल्लाह की बात करें तो पिछले कुछ सालों में इजरायल के साथ इसकी कई बार भिड़ंत हुई है. इनमें हसन नसरल्लाह समेत हिजबुल्लाह के कई बड़े लीडर मारे गए. अब हिजबुल्लाह इतना कमजोर हो चुका है कि वह इजरायल के सामने खड़े हो पाने की हालत में ही नहीं है.
* गाजा में फिलीस्तीनी संगठन हमास लंबे समय से इजरायल से लड़ रहा है और इसमें हमास के कई बड़े नेता ढेर हो चुके हैं. इजरायल ने बम और मिसाइलें मार-मार कर गाजा को पूरी तरह से मुर्दों के टीले के रूप में तब्दील कर दिया है। अमेरिकी प्रतिबंधों को झेल रहे ईरान से अब कुछ खास समर्थन नहीं मिलने के बाद हमास ने भी खुद को किनारा कर लेना ठीक समझा है.
* ईरान ने इराक में जो शिया मिलिशिया ग्रुप खड़ा किया था, उसने भी इजरायल-ईरान युद्ध से खुद को अलग रखा है. ईराक के पीएम मोहम्मद अल-सुदानी के अमेरिका से भी अच्छे संबंध हैं. ऐसे में उन्होंने मिलिशिया ग्रुप्स को टाइट किया हुआ है.
*यमन में सक्रिय हूती संगठन की हालत भी अब ईरान के समर्थन में उतरने की बची नहीं है. अमेरिकी स्ट्राइक में हूतियों की कई मिसाइल बैट्रीज तबाह हो चुकी हैं और अब वे चुप रहने को मजबूर हैं.
यानी ईरान ने जो आतंकी संगठन इजरायल को घेरने के लिए खड़े किए थे, वे सब के सब अब ढेर हो चुके हैं और ईरान बुरी तरह से घिर चुका है. जिन आतंकी संगठनों को ईरान का Axis of Resistence यानी ‘प्रतिरोध की धुरी’ कहा जाता था, अब उनकी ताकत, उनके तेवर, उनका डर Exist ही नहीं करता तो अब वो Resistence क्या दिखाएंगे? धुरी ही उखड़ चुकी है तो प्रतिरोध क्या दिखाएंगे? ऐसे में 86 साल के बुजुर्ग हो चुके अली खामेनेई ने अपनी जवानी में जिन संगठनों को पैदा किया आज वे बच्चे बड़े तो हो गए लेकिन खामेनेई की लाठी बनने की बजाए हाथ की लाठी खींच कर निकल चुके.
