कार्वेट टाइगर रिजर्व में अवैध पेड़ कटान और निर्माण मामले में कुछ अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले की विभागीय जांच में कुछ अनियमितताएं सामने आई हैं। बताया गया है कि सेवानिवृत्त आईएफएस व तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत ज्योत्सना सितलिंग ने 1200 पेज की जो रिपोर्ट पिछले साल शासन को सौंपी।

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सीबीआई ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है।

शासन ने ज्योत्सना को प्रकरण की जांच सौंपी थी लेकिन जांच के बाद शासन को जांच रिपोर्ट सौंपने के बावजूद शासन पूरे मामले को अब तक दबाए रखे रहा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 जुलाई 2021 से पहले 12 बार पाखरो टाइगर सफारी एवं उसमें चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों का औसतन 10 से 15 दिन में तत्कालीन निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, तत्कालीन वन मंत्री एवं तत्कालीन प्रमुख सचिव वन के साथ निरीक्षण किया गया था। इन 12 निरीक्षण में तत्कालीन निदेशक ने निरीक्षण टिप्पणी जारी नहीं की। उन्होंने पाखरों टाइगर सफारी में अवैध निर्माण एवं अन्य अनियमित कार्यों को प्रभावी रूप से रोकने या नियंत्रित करने के लिए प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ वन प्रभाग को 19 जुलाई 2021 से पहले कोई पत्र जारी नहीं किया।

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इससे ऐसा लगता है कि पाखरो टाइगर सफारी में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की विविध स्वीकृतियां प्राप्त किए बिना एवं प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के बिना अवैध निर्माण रोकने के लिए कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया गया। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उच्च स्तर पर झूठी सूचना भेजी गई। वहीं, अधिकारियों ने पाखरो टाइगर सफारी की स्थापना को प्रधानमंत्री की घोषणा बताया। जांच रिपोर्ट में कूटरचना और बैक डेट में पत्र जारी करने की भी बात कही गई है।


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