सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप का विधान होता है मान्यता है​ कि अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

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सभी अमावस्या तिथियों में सर्वपितृ अमावस्या का खास महत्व होता है इस दिन पितृपक्ष का समापन हो जाता है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

गरुड़ पुराण के अुनसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ धरती पर आते हैं और सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर पितर पृथ्वी लोक से विदा हो जाते हैं। इस अवसर पर पितरों की विशेष पूजा का विधान होता है साथ ही अंतिम तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस बार सर्वपितृ अमावस्या कब मनाई जाएगी इसकी तारीख और समय क्या है।

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सर्व पितृ अमावस्या की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 39 मिनट से हो रहा है और 3 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करना उत्तम माना जाता है।

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ऐसे में इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक है। इसके बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान जरूर करें मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और दुख परेशानियों को दूर कर देते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

वहीं सर्वपितृ अमावस्या तिथि के दिन पितर पृथ्वी लोक से चले जाते हैं। इसलिए इस शुभ अवसर पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही अंतिम तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें दुर्लभ ब्रह्म योग भी शामिल है। इन योगों में पितरों की पूजा करने से पितर व्यक्ति विशेष पर विशेष कृपा बरसाते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त

आश्विन अमावस्या की तिथि भारतीय समयानुसार 01 अक्टूबर को रात 09:39 बजे शुरू होगी और 03 अक्टूबर को देर रात 12:18 बजे समाप्त होगी। सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों के तर्पण और पिंडदान का शुभ मुहूर्त सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक है। इसके बाद जरूरतमंदों में दान जरूर करें।

ब्रह्म योग

आश्विन अमावस्या पर एक दुर्लभ ब्रह्म योग बन रहा है। यह योग 03 अक्टूबर को देर रात 03:22 बजे समाप्त होगा। ज्योतिषी ब्रह्म योग को शुभ मान रहे हैं। इस योग में पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। इस समय पितरों को तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति जरूर मिलती है।

सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। यह योग दोपहर 12:23 बजे से बन रहा है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग 03 अक्टूबर को सुबह 06:15 बजे समाप्त होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इस दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 06:15 बजे

सूर्यास्त – शाम 06:05 बजे

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:38 बजे से सुबह 05:26 बजे तक

विजया मुहूर्त – दोपहर 02:09 बजे से सुबह 02:56 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:05 बजे से शाम 06:30 बजे तक

निशिता मुहूर्त – रात 11:46 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक


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