राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की गोली मारकर हत्या करने वाले चार आतंकवादी संभवतः अभी भी इलाके में मौजूद हैं और सेना और स्थानीय पुलिस की तलाशी से बचे हुए हैं.

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एनआईए के सूत्रों के मुताबिक आतंकवादी आत्मनिर्भर हो सकता हैं और इस वजह से वो घने जंगलों में छिपे हुए हो सकते हैं, जो यह बताता है कि आखिर वो अभी तक पकड़े क्यों नहीं गए हैं.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

आतंकवाद विरोधी एजेंसी एनआईए ने इस भीषण आतंकवादी हमले की जांच अपने हाथ में ले ली है. बता दें कि फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 40 सैनिकों को मारने वाले आतंकी हमले के बाद हाल ही में पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला सबसे भयावाह रहा है.

शुरुआती जांच में सामने आया है कि आतंकवादी बैसरन घाटी में मौजूद थे. बता दें कि बैसरन घाटी, पहलगाम के पास एक खूबसूरत घास का मैदान और पर्यटक आकर्षण का केंद्र है. यहीं पर आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को टूरिस्ट्स पर हमला किया था. एनआईए सूत्रों ने कहा कि हमले के बाद पूछताछ किए गए ओजीडब्ल्यू या ओवर ग्राउंड वर्कर या आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वालों ने बताया कि उन्होंने चार अन्य स्थानों की रेकी की थी. इनमें अरु और बेताब घाटियां शामिल थीं.

लेकिन उन सभी पर कड़ी सुरक्षा थी और इसलिए आतंकवादियों ने बैसरन को चुना. खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आतंकवादियों के पास उन्नत संचार उपकरण थे; कश्मीर में सेवा देने वाले सेवानिवृत्त रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल यश मोर ने NDTV को इस बारे में बताया था.

सूत्रों ने बताया कि इस्तेमाल किए गए उपकरण में सिम कार्ड की जरूरत नहीं थी और यह कम दूरी के एन्क्रिप्टेड ट्रांसमिशन में सक्षम था, जिससे इसे रोकना मुश्किल था. आतंकवादियों ने कथित तौर पर तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया, संभवतः अपनी स्थिति को छिपाने और भारतीय सुरक्षा बलों को हमले तक चौकन्ना रखने के लिए, जो दोपहर 1.15 बजे शुरू हुआ. हमले की योजना भी आसान थी – तीन आतंकवादी बैसरन के आसपास छिपे हुए स्थानों से टूरिस्ट्स पर गोलीबारी करने के लिए निकले, जबकि चौथा जरूरत पड़ने पर बैक-अप देने के लिए छिपा रहा.

सूत्रों ने कहा है कि आस-पास अन्य आतंकवादी भी छिपे हो सकते हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आतंकवादियों ने कुछ लोगों से इस्लामाी आयतें सुनाने के लिए कहा था और इनमें से जो असफल रहे थे उन्हें बिल्कुल करीब से गोली मार दी थी. हमले के कुछ ही वक्त बाद इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आने लगे, जिनमें महिलाएं अपने पतियों के खून से लथपथ चेहरे के साथ मदद की गुहार लगाते हुए नजर आईं.

मारे गए 26 लोगों में एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. दूसरा हनीमून पर आया नौसेना अधिकारी था; उसकी शादी को एक हफ्ते से भी कम समय हुआ था. एक और व्यक्ति आंध्र प्रदेश का था. चौथा व्यक्ति कर्नाटक का 35 वर्षीय एक पारिवारिक व्यक्ति था जो अपनी जान की भीख मांग रहा था.

इस हमले की दुनिया भर में निंदा की गई और पीएम मोदी ने न केवल उन लोगों से बदला लेने की कसम खाई जिन्होंने इसे अंजाम दिया बल्कि उन लोगों से भी बदला लिया जिन्होंने हमले की योजना बनाई. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नापाक एजेंडे को सफल नहीं होने दिया जाएगा, उन्होंने पाकिस्तान और उसके आतंकी नेटवर्क को चेतावनी दी.

भारत की शुरुआती प्रतिक्रिया कूटनीतिक प्रतिबंधों की झड़ी थी, जिसमें देश से पाकिस्तानी नागरिकों को निकालना और सिंधु जल संधि को निलंबित करना शामिल था. सिंधु जल संधि एक महत्वपूर्ण जल-साझाकरण समझौता है जो पाकिस्तान को, जो एक कृषि प्रधान देश भी है, 80 प्रतिशत से अधिक जल आपूर्ति करता है. पाकिस्तान ने भी भारतीयों को निष्कासित करके और शिमला समझौते को निलंबित करके इसका जवाब दिया.

दोनों देशों ने एक-दूसरे के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिए हैं. भारत द्वारा सैन्य प्रतिक्रिया शुरू करने की भी उम्मीद है. बुधवार को पीएम ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. सूत्रों ने बताया कि श्री मोदी ने सशस्त्र बलों को जवाबी हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के लिए हरी झंडी दे दी.


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