
देहरादन। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के इतिहास और उसमें महिलाओं के अमूल्य योगदान को समर्पित डॉ. सावित्री डैंडा जन्तवाल (डी.लिट) की पुस्तक “स्वातंत्र्योत्तर उत्तराखण्ड में महिलाओं की भूमिका (उत्तराखण्ड आन्दोलन के सन्दर्भ में)” का विमोचन उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने किया।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
इस अवसर पर राज्यपाल ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह ग्रंथ मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और परिवर्तन का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से यह तथ्य उजागर होता है कि महिलाएँ उत्तराखण्ड आन्दोलन की केवल सहभागी ही नहीं थीं, बल्कि वे इस आन्दोलन की परिवर्तन वाहक शक्ति के रूप में उभरीं।
राज्यपाल ने मुजफ्फरनगर गोलीकाण्ड और महिलाओं पर हुए अत्याचारों को याद करते हुए कहा कि उस समय की घटनाएँ लोकतन्त्र के मुँह पर करारा तमाचा थीं, जिसकी पीड़ा आज भी उत्तराखण्डवासियों को कचोटती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की महिलाएँ संघर्ष, त्याग और नेतृत्व की जीवंत मिसाल रही हैं, जिन्होंने अपार बलिदान देकर पृथक राज्य के सपने को साकार किया।
पुस्तक की लेखिका डॉ. सावित्री डैंडा जन्तवाल हिमालय संग्रहालय की प्रभारी, पूर्व संयोजक एवं इतिहास विभागाध्यक्ष रही हैं। उन्होंने अपने शोध-कार्य में न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का दस्तावेजीकरण किया है, बल्कि आन्दोलन के भीतर महिला-शक्ति की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक छवियों को भी उजागर किया है।
राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक आज की युवा पीढ़ी के लिए महिला नेतृत्व, संघर्ष और समर्पण के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करती है। साथ ही यह बताती है कि उत्तराखण्ड की महिलाएँ भारतवर्ष में सर्वाधिक मेहनती, संघर्षशील और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं।
यह पुस्तक न केवल उत्तराखण्ड आन्दोलन के अध्ययन करने वालों के लिए बल्कि समूचे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित होगी।

