आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी इस साल 6 जुलाई 2025 को है। इस दिन से सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। सवाल यह है कि वह योग निद्रा में कहां सोने जाते हैं।

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जब श्रीहरि योग निद्रा में होते हैं, तब सृष्टि का संचालन कैसे होता है। कौन संभालता है यह जिम्मेदारी।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

यदि आपके भी मन में इस तरह के सवाल हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन से क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। यानी तप करने के चार महीनों का समय शुरू हो जाता है, जब मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और पूजा-पाठ, धर्म-कर्म के कार्य किए जाते हैं।

भोलेनाथ संभालते हैं सृष्टि

भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के बाद भगवान शिव के हाथों में सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी रहती है। वह कैलाश धाम को छोड़कर धरती पर आते हैं। चातुर्मास का पहला महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह श्रावण है। कहते हैं कि इस दौरान शिवजी हरिद्वार में अपने परिवार के सहित रहते हैं।

सावन मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल हरिद्वार स्थित कनखल में दक्षेश्वर महादेव के नाम से विराजते हैं। यहीं से वह सृष्टि का संचालन करते हैं।

फिर ये देवी-देवता संभलाते हैं जिम्मेदारी

इसके बाद कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व होने के कारण सृष्टि की कमान श्री कृष्ण संभालते हैं। उनके बाद अनंत चतुर्दशी का पर्व आने के चलते सृष्टि को संभालने की जिम्मेदारी विघ्नहर्ता भगवान गणेश की होती है। इसके बाद अश्विन मास में सृष्टि का संचालन पितृ करते हैं।

इसके बाद मां के नौ रूपों में की आराधना का पर्व नवरात्रि होने की वजह से सृष्टि के संचालन का काम मां दुर्गा करती हैं। इसके बाद दिवाली तक श्रीहरि के उठने यानी देवउठनी ग्यारस तक मां लक्ष्मी सृष्टि को चलाती हैं।


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