नंदाष्टमी, राधाष्टमी पर्व 2024
दिनांक 11 सितंबर 2024 दिन बुधवार को नंदाष्टमी एवं राधाष्टमी पर्व मनाया जाएगा।
नंदा देवी मेला भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि से प्रारंभ होता है। नंदाष्टमी पर्व अल्मोड़ा, नैनीताल तथा गढ़वाल मंडल के जौहार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है इसी दिन मां नंदा की पूजा की जाती है। देवी का अवतार जिस पर होता है उसे देवी का डंगरिया (उपासक) कहा जाता है। मा नंदा की पूजा के लिए केले के वृक्षों से पर्वतनुमा मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। केले के वृक्षों के चयन के लिए डंगरिया (देवी के विशेष उपासक) हाथ में चावल और पुष्प लेकर उसे केले के वृक्षों की ओर फेंकते हैं। जिस वृक्ष पर स्वत: कंपन उत्पन्न होती है उसकी पूजा कर उसे मां के मंदिर में लाया जाता है। देवी की मूर्तियों के निर्माण का कार्य सप्तमी के दिन से प्रारंभ होता है। जबकि अष्टमी को मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस दौरान नंदा देवी परिसर में भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। अष्टमी,नवमी, व दशमी की पूजा के बाद एकादशी तिथि को मां नंदा का विसर्जन किया जाएगा।
मा नंदा देवभूमि उत्तराखंड की अगाध आस्था का पर्याय है।
राधाष्टमी
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री राधाष्टमी पर्व मनाया जायेगा। राधा अष्टमी का उपवास रखने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है धन संबंधित समस्याओं का समाधान होता है वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ 10 सितंबर 2024 रात्रि 11:13 से 11 सितंबर 2024 बुधवार 11:48 मिनट तक।
इन दोनों तिथियों पर राधा कृष्ण की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में राधा और कृष्ण की जोड़ी को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। उनकी आराधना करने से प्रेम जीवन में खुशियों का वास होता है।
इस साल 11 सितंबर 2024 को राधा अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन प्रीति योग बन रहा है, जो रात 11 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है, जो सभी के लिए लाभदायक होने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग जन्माष्टमी का उपवास रखते हैं, उन्हें राधा अष्टमी पर भी व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने से कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का भी संपूर्ण फल मिलता है। इस दिन व्रत के साथ-साथ लाडली राधा की पूजा संपूर्ण विधि से करनी चाहिए। इस दौरान उनकी आरती करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। ऐसे में आइए राधा रानी की आरती के बारे में जानते हैं।
श्री राधा रानी जी की आरती
श्री राधारानी की आरती
आरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै ।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।